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गुरुवर कण-कण मे नव चिन्तन भर दो । भिक्षो । जन-जन मे नव जीवन भर दो।
भर दो
भर दो।
!
भर दो।
भर दो ।
थे,
तुम तुम
धर्म - क्रान्ति - उन्नायक अटल सत्य निर्णायक थे. शासन के भाग्य विधायक थे,
-
अपना वह अनुपम अनुशीलन भर दो । भर दो ! भर दो | ॥ १॥
तुम साध्य सिद्धि से स्वस्थ बने, पथ- दर्शक परम प्रशस्त वने,
आत्मस्य वने, विश्वस्त बने,
अविचल अविकल वह सद्गुण धन भर दो । भर दो | भर दो | ||२||
लय-- उतरी तम पत्र पर ज्योति चरण
गुरु ]
कप्टो मे क्षमा तुल्य क्षमता, थी स्थितिप्रज्ञ की सी समता, सबके प्रति निर्मित ममता,
अपनत्व लिए वह अपनापन भर दो । भर दो। भर दो ' ॥३॥
सयम के सच्चे माधक थे, चाराव्य और आराधक थे, जिनवाणी के अनुवादक थे, वह धार्मिक मार्मिक सघन मनन भर दो । भर दो। भर दो | ॥४॥
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