________________
वा वक्तृत्व कला बेचारी, बिन वारी धन गाज। नहिं विकसावै गण वन क्यारी, मूल विना किहां व्याज ॥८॥
वात-बात, प्रवचन-प्रवचन में गण गणपति गे नाम । सुविनीता री सरल कसौटी, दो चावल कर थाम ||९||
'लिखित लेख ओ स्वामीजी रो शासण री बुनियाद । हर वर्षे मरयाद महोत्सव, 'तुलसी' तिणरी याद ॥१०॥
सतरे पंचशया मुनि समणी श्रावक संघ सजोर । शहर सरदार त्रयोदश सवत शासन हर्प विभोर ॥११॥
वि० सं० २०१३ मर्यादा महोत्सव, सरदारशहर (राज.)
११०]
[श्रद्धेय के प्रति