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मावरा हो मावरा, म्वामीजी स्वामीजी, म्हारै आगण भला पधारचा रे । दुनिया री दुविधा मे डूबत, लाखा जीव उधारया रे ।
भरी जवानी मे सुरज्ञानी जग की सारी ममता माया मारी। कबीर वारी भारी चदरिया वो उजरी कर डारी रे ॥ar
मीरा रो सावरियो माइ, राम नाम पर तुलसीदास दिवानो। म्हारो रे सावगे जिन वाणी पर बण्यो रहयो परवानो रे ॥२॥
प्रवल विरोधी झेल चुनौती वीहड पथ पर निकल पडयो मरदानो। 'मोटा घर रो मान रटापो' केवल प्रभु रो वानो रे ॥३॥
वर्ण वणाई जो रे वामणी क्यो कर छोडै लखण ड्रमणी वाला। विना मावना मात्र नाम हा । अजव मोहिनी हाला रे ॥४॥
गलं कमुम्बो, वणे कमुम्मल पेचा कपडा नयन निहारया। कर कानू पहिली अपण पर चेला ने ललकारया रे ॥५॥
वोत्यो वेद बडो हो वावो, जो चोतरफी गहरी दृष्टि दुडाइ । ग्गर्दै झगडे को झपडिया दागी दियामलाई रे ॥६॥
दो बाता गे बाबा दुग्मण शिथिलाचार स्वतन्त्रचारिता चीरी। दो वाता गे पक्मो प्रेमी सम सयम रो सीरी रे ॥७॥
नय---रापना रमवदा
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