Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 79
________________ ६६] मर्यादा ही जिसका अथ है, मर्यादा ही जिसका पथ है । मर्यादा घोष अनवरत है, सन्तोष पोष सुषमा प्रकाम ॥५॥ सयम समाधिमय श्रमण संघ, साध्वियां कुसुम कलियां अभंग | श्रावक समाज ले नव उमंग, है खड़ा एक टक दृष्टि थाम || ६ || में, मर्यादोत्सव मंगलमय प्रमुदित सव पल-पल लव-लव मे । 'तुलसी' श्रद्धानत भक्त हृदय हो, कोटि-कोटि सविनय प्रणाम ||७|| वि० सं० २०१७ मर्यादा महोत्सव, श्रामेट ( राज० ) [ श्रद्धेय के प्रति

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