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मर्यादा ही जिसका अथ है, मर्यादा ही जिसका पथ है । मर्यादा घोष अनवरत है, सन्तोष पोष सुषमा प्रकाम ॥५॥
सयम समाधिमय श्रमण संघ, साध्वियां कुसुम कलियां अभंग | श्रावक समाज ले नव उमंग, है खड़ा एक टक दृष्टि
थाम || ६ ||
में,
मर्यादोत्सव
मंगलमय प्रमुदित सव पल-पल लव-लव मे । 'तुलसी' श्रद्धानत भक्त हृदय हो, कोटि-कोटि सविनय प्रणाम ||७||
वि० सं० २०१७ मर्यादा महोत्सव, श्रामेट ( राज० )
[ श्रद्धेय के प्रति