Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons
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चरमोत्सव आज मनायो, भिक्षु समृति पथ मे लायो ।
शुभ सवत साठ अठार, गुरुवर मुग्धाम सिधार। भाद्रव तेरस भल भायो |॥१॥
है देश मरुस्थल भारी, वो प्राक्तन पुर सिरियारी। नंगमनय निगम निभाओ ॥२॥ वै कच्ची पक्की हाटा, गुरुराज रह्या गहघाटा। (मत) अनशन वात विसरायो॥३॥
वा अन्तिम गीख मनुरी, आध्यात्मिक प्ररक पूगे। हृदयागण लेख लिसावो ॥४|| माधार्मिक भक्ति मिसाई, प्रभु दैविक शक्ति दिग्वाई। गुणी गौरव मुम मुम गाग्रो ॥५॥ भिक्षु जीवन पर उस भागी, योमाम विपय चित्त चापी। ममृति पट मे चित्र सिंचाग्रो ॥६॥
सय-सम गणी पण
गु]
[१.३

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