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तेरापथ के भाग्य विधाता, ऐ ! द्वितीय दैपेय ! गुजे अगणित कण्ठ-स्वर से सदगुण गरिमा गेय। स्वीकृत हो श्रद्धाञ्जलियां हे ! श्रद्धा के आस्थान ॥६॥
तेरे इस पावन स्मृति दिन में सघ चतुष्टय लीन । अांखों आगे आज नाचता तेरे युग का गीन । 'तुलसी' जय-जय की धुन में यह जयपुर राजस्थान ।।७।।
वि० सं० २००६ भाद्रव शुक्ला १२ जयपुर (राज.)
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[श्रद्धेय के प्रति