Book Title: Shraddhey Ke Prati Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni Publisher: Atmaram and Sons View full book textPage 101
________________ भारिमल्ल, रायेन्दुजो रे ! जयजग, मघ, माणिकलाले, डालिम कलिमल कन्दन कालू, वनपालू इक इक आले । 'तुलसीगणि' गुरु ग्रनुपद चालै, मिल गंध गंध सयल सायंकाले । करो वीर प्रार्थना सम काले ॥५॥ ८८ لا [ श्रद्धेय के प्रतिPage Navigation
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