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नर की परख करी तुमने अप्रतिहत प्रतिभा धारीजी। कैसा शानदार चुना उत्तर-अधिकारीजी। कालू भाल विशाल आज ही क्या कोई विसराएगे ।।६।।
धन्य-धन्य हम सब है ऐसे गुरु रत्नो को पाकर के।
सदा वजाएं चैन बांसुरी हृदय फुला करके । R 'तुलसी' शत वार्षिक यह मालव-चतुर्मास सझाएगे ।।७।। E
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[श्रद्धेय के प्रति