Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 75
________________ रत्न-त्रय की जहां वृद्धि, मुनि-चर्या वरे समृद्धि, फिर क्यों नां बंग, कलिङ्ग विहार चाहिए ॥८॥ 'तुलसी' संयम के पथ पर, उन्नत हो जन-जीवन स्तर, 'हांसी' उत्सव का यह उपहार चाहिए । परस्पर प्यार चाहिए | वि० स० २०१६, मर्यादा महोत्सव, हांसी (पंजाब) ६२] [श्रद्धय के प्रति

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