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सवत्सर भर का कार्यक्रम, निश्चित करवाता यह निरुपम । प्रतिरूप संघ का परिमार्जन, मंजुल मर्याद महोत्सव है ||६||
मुनियो को मिलते नये क्षेत्र, भक्तो को मिलते नये नेत्र |
परिवर्तन वर्तन का साधन, मंजुल मर्याद महोत्सव है ||७||
घुल मिल ग्रक्षरमय एक पत्र, है धार्मिक जग का एक छत्र |
करने क्षण-क्षण अमृत वर्पण, मजुल मर्याद महोत्सव है ॥ ८ ॥
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भिक्षु का भाव भरा मन्थन, श्री जयाचार्य का सद्ग्रन्थन । 'तुलसी' का सफल सुफल चिन्तन, मजुल मर्याद महोत्सव है || ६ ||
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वि० सं० २०१५, मर्यादा महोत्सव, संथिया ( बंगाल )
[ श्रद्धेय के प्रति