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श्री भिक्षु का जीवन दर्शन, मजुल मर्याद महोत्सव है ।
जनता का सहज समाकर्षण, मजुल मर्याद महोत्सव है ।।
सघर्षो का इतिहास भरा, आदर्शो का पथ हरा भरा ।
मुनिचर्या का शुभ सजीवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ॥१॥
सुन्दर सगठन प्रतीक वना, निर्मल निरुपम निर्भीक बना ।
अनुशासन का पावन उपवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||२||
यम नियमहीन ग्रधुना युग में, निम्मीम निरवधिक इस जग मे ।
मर्यादित विधि का अनुमोदन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||३||
नव जागृति का सन्देश सबल, ले प्राता प्रगति पथ परिमल ।
प्रतिवर्ष हर्प का नव यौवन, मजुल मर्याद महोत्सव है ||४||
शासन का भावित शुभ भविष्य, समुपस्थित करता सुगम दृश्य ।
तेरापथ का अभिनव दर्पण, मजुल मर्याद महोत्सव है ||५||
लय- महावीर प्रभु वे चरणो मे
गुरु ]
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