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हिल-मिल संघ चतुष्टय उत्सव आज मनाएंगे। मर्यादा दिन की स्मृति में सब मंगल गान सुनाएंगे । भिक्षु-जन्म से ही वह मरुधर मरुधर धरा कहाई है। भिक्षु-प्रसव से वीर प्रसू दीपां कहलाई है। (उस)वीर पुरुष को वीर कहानी मुख मुख पर सरसाएंगे ॥१॥ जैनधर्म की ज्योति जगाने कितने कष्ट उठाए है। शिथिलाचार मिटाने कितने हेतु लगाए है। (उस) वीर पुरुष की एक-एक कृतियां स्मृति-पथ पर लाएंगे ॥२॥ अति विशृखल साधु सघ में एक शृखला आई है। पृथक्-पृथक् स्वछन्द-वृत्ति जड़ से छुड़वाई है । (उस) वीर पुरुष का एक लेख दृग्गोचर करवाएंगे ॥३॥ जैनागम की भव्य भित्ति पर मन्दिर सवल सजाया है। तेरापंथ अभिधान विश्व विख्यात बनाया है। (उस) मंजुल मन्दिर की सुषमा अवलोकन लोग लुभाएंगे।।४।। भातृभाव के विमल भाव जो मुनि सतियों में आए है। एक सुगुरु मे भक्ति भाव केन्द्रित बन पाए है। (उस) योगीराज की दूरदर्शिता सुमर-सुमर सुख पाएंगे ।।५।। खपे अनेक छेक खा खेवट एक एकता मरने को। पर न प्राप्त अल्पांश सफलता श्रान्ति विसरने को। उस सफल मनोरथ महामना की महिमा अव महकाएंगे ॥६॥
लय-आदिनाथ आदीश्वर भिक्षु जग मे २४]
, [श्रद्धेय के प्रति