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मंगल है आज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल । शासन के ताज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल । भिक्षु गणी राज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥
साधु सतियों में मंगल,
श्रावक समुदय में मंगल, मंगल परिवार ! तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥१॥
मंगल तेरी मर्यादा,
नर हो चाहे कोई मादा, सब पर इकसार, तेरे शासन मे मंगल-मंगल ॥२॥
मंगलमय तेरी नीति,
संयम से ही हो प्रीति, उज्ज्वल आचार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥३॥
ना कोई खींचा तानी,
चलती है नही मनमानी, इक गुरु की कार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥४॥
सवकी है एक शैली,
ना कोई के चेला चेली, सुन्दर व्यवहार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥५॥
लय-कैसी फुलवारी फूली
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[श्रद्धेय के प्रति