Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 51
________________ मंगल है आज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल । शासन के ताज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल । भिक्षु गणी राज ! तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥ साधु सतियों में मंगल, श्रावक समुदय में मंगल, मंगल परिवार ! तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥१॥ मंगल तेरी मर्यादा, नर हो चाहे कोई मादा, सब पर इकसार, तेरे शासन मे मंगल-मंगल ॥२॥ मंगलमय तेरी नीति, संयम से ही हो प्रीति, उज्ज्वल आचार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥३॥ ना कोई खींचा तानी, चलती है नही मनमानी, इक गुरु की कार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥४॥ सवकी है एक शैली, ना कोई के चेला चेली, सुन्दर व्यवहार, तेरे शासन में मंगल-मंगल ॥५॥ लय-कैसी फुलवारी फूली ३८] [श्रद्धेय के प्रति

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