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सद्गुरु के अधिनायक पन में, सच्ची श्रद्धा हो तन मन मे, सकल सघ हो एक गठन मे छा जाए जग एक उजारा। बना रहे आदर्श हमारा ॥५॥
नही विरोधो मे घबराये, पद-यश-लिप्सा नहीं सताये, हम अपना कर्तव्य निभायें सच्चावट का एक सहारा। बना रहे आदर्श हमारा ॥६॥
हम शिवपुर के सच्चे राही, क्यो कोई आयेगी खाई, भिक्षु भावना का दृढता से 'तुलसी' होगा अमर पुजारा। बना रहे आदर्श हमारा ॥७॥
वि० स० २००६ चरम महोत्सव, हासी (पजाब)
गुरु]
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