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सत्य-धर्म का झण्डा जन-जन के मन मन्दिर लहराए। धर्म नाम से शोपण, अत्याचार कभी ना हो पाए। ऐसा करे प्रसार व्यवस्थित और सगठित रूप लिए। जीए न जीने को, पर हम सब अटल साधना लिए जियें। देहली चतुर्मास चरमोत्सव, 'तुलसी' अभिनव भाव भरें ॥५॥
वि० स० २००८ चरम महोत्सव, दिल्ली
गुरु]
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