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मिला अमित आनन्द प्रात्मबल, जन-जन का दिल कमल खिला। जीवन को पालोकित करने वाला अभिनव तत्त्व मिला ।।
टूट गया धीरज का धागा कव तक शिथिलाचार सहें। मूढजनोचित मन्तव्यों पर कैसे संयम भार वहें ।।
क्रान्तिकारी इस चिन्तन में वस जैनों को जैनत्व मिला। जीवन को आलोकित करने वाला अभिनव तत्त्व मिला ॥१॥
प्रभो ! तुम्हारे पथ पर हमने लो अपना बलिदान किया। तेरापंथ हमारा प्यारा सब पंथों को छान लिया ।
तेरापंथ नाम में ही तो तव मम का एकत्व मिला। जीवन को आलोकित करने वाला अभिनव तत्त्व मिला ।।२।।
लय-आज हिमालय की चोटी से
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[श्रद्धेय के प्रति