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गुरु अाजा जहां बड़ी है, वन पहरेदार खड़ी है, विन आजा हिले न पान, मिला यह तेरापन्थ महान ॥५॥
भिक्षु की अमर कृति यह, भिक्षु की दिव्य धृति यह, सारा भिक्षु का सुविधान, मिला यह तेरापन्थ महान ॥६॥
जिसका इसमें एकीपन, उसका ही है यह शासन, उसका, इससे है सन्मान, मिला यह तेरापन्थ महान ।।७।।
लो जन-जन का अभिनन्दन, गण सदा रहे वन नन्दन, ‘वदना-नन्दन' का आह्वान, मिला यह तेरापन्थ महान ॥८॥
भिक्षु का स्मृति दिन आया, मिल संघ अभंग मनाया, खिला सरदारशहर सुस्थान, मिला यह तेरापन्थ महान ।।६।।
वि० सं० २००६ चरम महोत्सव, सरदारशहर (राज.)
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[श्रद्धेय के प्रति