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दूध पानी
सत्य का बल है अटूट, झूठ आखिर झूठ-झूठ,
का
निवेड़, सत्य से दिखलायेगे | साहस सदा बढ़ायेगे ||५|| ।।५।।
दीपां के इकलौते लाल, क्या वरणे तेरा खुशहाल,
वाह-वाह काम कमाल, मानव देख शिर
अपना हृदय
तेरे जीवन का आकूत, बतलाता यह संघ सबूत,
३४ |
दुषम-सुषमा या सतयुग की, रचना हम बतलायेंगे । ज्यों की त्यों रख पायेगे ||७||
डोलायेंगे । फुलायेगे || ६ ||
करें याचना हम सब एक, अटल आत्मबल हो अतिरेक,
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'सत्यं शिवं, सुन्दरम् का हम साक्षात्कार करायेंगे | जीवन ज्योति जगायेंगे || ८ ||
अभिनन्दन हो बारम्बार, अभिनन्दन हो बार हजार,
'तुलसी' तन मन रों- रों में गुरुवर को सदा बसायेंगे । नहीं पल भर बिसरायेंगे ||८||
वि० संवत् २००६ चरम महोत्सव, जयपुर (राज० )
[ श्रद्धेय के प्रति