Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 46
________________ वीर के अनुगामी भिक्षु म्वामी के गुण गायेगे। तेरापथ-पथ की दुनिया मे पाव वटायेगे। जैनधर्म धर्म की दुनिया मे आव वढायेंगे। वटते-बटते जायेंगे, नही पीछे हट आयेंगे। जीवन सफल बनायेगे। हे प्रभो । यह तेरापथ, मानव-मानव का यह पथ, जो बने इसके पथिक, सच्चे पथिक कहलायेगे। आगे कदम वढायेंगे ॥१॥ जो पडे इसके प्रतिकूल, कर रहे बचपन-सी भूल, उनको भी अनुकूल पथ मे, प्राण प्रण से लायेंगे। भ्रातृ भाव दिखलायेंगे ॥२॥ दान दया का जो मिद्धान्त, दुनिया है जिसमे उद्भ्रान्त, गीघ्र हो सब शान्त, ऐसा गान्तरस बरमायेंगे। कान्ति भी फैलायेंगे ॥३॥ जो हमारा हो विरोध, हम उसे समझे विनोद, सत्यन्मत्य शोध मे, तब ही मफनता पायेंगे । कप्टो में नहीं घबरायेंगे ।। सप-जिदगी है मौज में [३३

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