Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ न्यायाधीग, नियामक नीति-निपुण निर्मला निरुपम प्यारा। निरतिचार नि शल्य निरामय वह जग से न्यारा । 'तुलसी' उसकी गुण गाया गाकर मण्डप गुजाएगे ।।७।। चौपई भारीमल्ल, ऋपिवर, जय स्वामी, मघ, माणिक, डालिम गुरु नामी। कालू अष्टम पट अधिराजा, सुगुरु प्रसाद सदा सुख ताजा ॥ दोहा तेरस शुक्ला भाद्रवी, भिक्षु चरम कल्याण । मिले सघ नव रग मे, मण्डप मे मण्डाण ।। वाह्याभ्यन्तर श्वेत हे, सती सन्त समुदाय । नव-नव श्रावक श्राविका, अनुरत मन, वच, काय ।। मती चार सौ सात है, मुनि शत-तयालीस । लोक हजारो प्रगति पर, शासन विश्वावीम ।। दो हजार युत चार मे, वीदासर सुखकार । माघ महोत्सव मे सुखद, तुलमी जय-जयकार ।। वि० स० २००४, मर्यादा-महोत्सव, बीदासर (राज.) [२५

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124