Book Title: Shantisudha Sindhu
Author(s): Kunthusagar Maharaj, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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(शान्तिसुधासिन्धु)
कहते है । जिस महापुरुषको संवर और निर्जरा होती है, उसको मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है । क्योंकि संवरके होनेसे कर्मोका बन्धन स्क जाता है, आगे नवीन कर्म नहीं आते, तथा निर्जराके होनेमे कर्म नष्ट होते रहते हैं । इसप्रकार संवर और निर्जराको धारण करनेवाला महापुरुष ध्यानके द्वारा समस्त कर्माको नष्ट कर अवश्य ही मोक्ष प्राप्त कर लेता है । इसमें किसी प्रकारका सन्देह नहीं है । इति श्रीआचार्यवयं श्रीकुन्थुसागरविरचिते शान्तिसुधासिन्धुम्रन्थे
हितोपदेशदोनो नाग पथसोधिकारः समाप्तः । इसप्रकार आचार्यवर्य श्रीकुन्थुसागरविरचित श्रीशान्तिसुधासिन्धु ग्रन्थमें
'धर्मरत्न' पं. लालारामजी शास्त्रीकृत हिन्दीभाषाटीकाम यह आत्माके कल्याणका उपदेश देनेवाला पहला अध्याय
समाप्त हुआ।