Book Title: Shabda Sanchay
Author(s): Dharmkirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 17
________________ सप्टेम्बर २००९ बुद्धिम् बुद्धी बुद्धीः बुद्ध्या बुद्धिभ्याम् बुद्धिभिः 'बुद्ध्यै, बुद्धये बुद्धिभ्याम् बुद्धिभ्यः बुद्ध्याः, बुद्धेः बुद्धिभ्याम् बुद्धिभ्यः बुद्ध्याः, बुद्धेः बुद्ध्योः बुद्धीनाम् बुद्ध्याम्, बुद्धौर बुद्ध्योः बुद्धिषु सं० हे बुद्धे हे बुद्धी हे बुद्धयः एवं शक्त्यादयोऽपि । अथ ईकारान्ताः । नदी नारी सखी नीली कदेली लवली मही । भिषी प्लवी कुमारी च नलिनी बिसिनी वनी ।१।। भामिनी कामिनी सौमी “मशी रीरी पुरन्ध्यपि । वाणिनी मालिनी शूद्री हिमानी सरसी तथा ॥२॥ मातुलानी क्षत्रियाणी ब्राह्मणी सुन्दरी गौरी । उपाध्यायी १०शालिपर्णी मृडानी पार्वती कनी ॥३॥ १'कादम्बिनी शमी काली मघोनी योगिनी तथा । विदुषी पेचुषी योक्ष्मी ईदन्ताः कीर्तिताः स्त्रियाम् ॥४॥ १२नदी नद्यौ नद्यः नद्यौ नद्या नदीभ्याम् नदीभिः १. स्त्रिया ङितां वा दै-दास्-दास्-दाम् [सि० १-४-२८] A. हुस्वश्च ङवति [२-२-५ का०] नदीवद्भावात्, नद्या ऐ आस् आस् आम् [२-१-४५ का०] A.I डवन्ति [ये यास् यास् याम् २-१-४२ का०] A. २. डिरौ सपूर्वः [२-१-६० का०] A. ३. संबुद्धौ च [२-१-५६ का०] A.| ४. पा० प्लवी A.B.I ५. पा० नली कदली लवली A.B.। ६. पा० मही भपी A.B.I ७. पा० बिशिनी A.B., बिशनी C. ८. पा० मसी AL ९. पा० पुरन्दरी A.B.I १०. पा० शालपर्णी A.B.I ११.एषः श्लोको नास्ति C.I १२. दीर्घड्याब् [व्यञ्जनात् सेः, सि०१-४-४५] A.I ईकारान्तात् सिः [२-१-४८ का०] सि लोपम् A. नदीम् नदी: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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