Book Title: Ratnakarandak Shravakachar
Author(s): Samantbhadracharya, Mannulal Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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तृतीय- अणुव्रत अधिकार
चारित्र का स्वरूप गृहस्थ के चारित्र की सिद्धि
देश चारित्र के भेद
४७,४८,४९ ८७
५० ८८
५१ ८८
५२ ८८
५३ ८९
९०
९२
५४ ९६
५५ ९६
५६ ९७
५७ १००
५८ १००
५९ १०१
६० १०१
६१ १०२
परिग्रहपरिमाण अणुव्रत लक्षण ५ न्यायपूर्वक आजीविका की प्रेरणा
१०५
परिग्रहपरिमाण अणुव्रत अतिचार ६२ ९०९ अणुव्रती की उत्पत्ति कहाँ
६३ ११०
अणुव्रतों में प्रसिद्ध कौन
पापों में प्रसिद्ध कौन
अणुव्रत का लक्षण
अहिंसाणुव्रत का लक्षण
हिंसा त्याग
हिंसा और अहिंसा का स्वरूप अहिंसाणुव्रत के अतिचार
सत्याणुव्रत का लक्षण सत्याणुव्रत के अतिचार
अचौर्याणुव्रत का लक्षण अचौर्याणुव्रत के अतिचार ब्रह्मचर्याणुव्रत का लक्षण ४ ब्रह्मचर्याणुव्रत के अतिचार
१
चतुर्थ- गुणव्रत अधिकार
गुणव्रत का लक्षण-भेद
दिग्व्रत का लक्षण १
दिग्व्रतों की मर्यादा
२
३
६४ ११०
६५ ११०
आठ मूलगुणों के नाम
६६ ११०
मद्य, मांस, मधु त्याग
१११
जिन मंदिर निर्माण की प्रेरणा
११६
परिशिष्ट ३. नय, भावना शक्तियाँ, उपासना ११९
६७ १२३
६८ १२३
६९ १२३
32
अणुव्रत में महाव्रतपना महाव्रती कैसे होता है
दिग्व्रत के अतिचार
७०,७११२४
७२ १२४
७३ १२५
७४ १२५
७५ १२५
७६ १२६
७७ १२६
७८ १२६
७९ १२७
८० १२७
१२८ १३४
सप्त व्यसन त्याग
अनर्थदण्डव्रत के अतिचार ८१ १३६ भोगोपभोगपरिमाणव्रत का लक्षण ३ ८२ १३७
भोग उपभोग का लक्षण
८३ १३७
८४ ९३८
यावज्जीवन त्याज्य अभक्ष्य त्याग वर्णन
८५,८६ १३८
१३९
१४४
अनुपसेव्य त्याग
१४७
भोगोपभोग परिमाण व्रत
८७ १४९
द्रव्य अपेक्षा परिमाण
८८ १५०
काल अपेक्षा परिमाण
८९ १५१
भोगोपभोगपरिमाण व्रत अतिचार ९० १५१
परिशिष्ट ४. कुन्दकुन्द वाणी, तत्त्व विचार १५२
अनर्थदण्ड व्रत का लक्षण २
अनर्थदण्ड के भेद
पापोपदेश अनर्थदण्ड
हिंसादान
अपध्यान
दुःश्रुति
प्रमाद चर्या
हिंसा उपदेश त्याग
खाद्य पदार्थों की अवधि
रात्रि भोजन त्याग
पंचम - शिक्षाव्रत अधिकार
शिक्षाव्रत के भेद देशावकाशिक व्रत का लक्षण १
क्षेत्र की मर्यादा
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९१ ९५५
९२ ९५५
९३ ९५५