Book Title: Puran Nirmanadhikaranam
Author(s): Madhusudan Oza, Chailsinh Rathod
Publisher: Jay Narayan Vyas Vishwavidyalay

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Page 22
________________ १८ पुराणनिर्माणाधिकरणम् यद्यपि सूत्रपात के रूप में ब्राह्मणों में सभी विद्याओं का उल्लेख है तथापि वे किसी भी एक विद्या को, उसके सम्बन्धित तथा इधर-उधर विप्रकीर्ण विभिन्न विषयों को क्रमबद्ध सुस्पष्ट रूप में एकत्र कर प्रस्तुत नहीं करते हैं अतः जिज्ञासु विनेयों के कष्ट की अनुभूति कर उन पर अनुग्रह बुद्धि से प्रेरित हो प्रतिभाशाली महर्षियों ने विभिन्न ब्राह्मणों की सामग्री चुन-चुन कर अपनी प्रतिभा के अनुसार एक-एक विद्या को लेकर उसका अनुशासन किया, उदाहरण रूप में देखते हैं तो कपिल और पतञ्जलि ने सांख्य और योग को, नन्दी, वात्स्यायन आदि ने कामसूत्र को, मनु आदि ने धर्मसूत्र को, धन्वन्तरिचरक आदि ने आयुर्वेद को शाकपूणि, यास्क आदि ने निरुक्त को, इन्द्र और पाणिनि आदि ने व्याकरण को एक सूत्रबद्ध व्यवस्थित अनुशासन के रूप में प्रस्तुत किया है। . ठीक इसी प्रकार महर्षि वसिष्ठ के प्रपौत्र, शक्ति के पौत्र, पराशर के पुत्र, सत्यवती नन्दन भगवान् व्यास ने पुराण विद्या को संहिता रूप में संसार के समक्ष रखा। भगवान् व्यास ने उपाख्यानों का संग्रह ब्राह्मणग्रन्थों से किया, इसी प्रकार गाथाओं के स्रोत भी ब्राह्मण रहे हैं, ब्रह्माण्ड पुराण प्रोक्त जगत् के सर्ग प्रतिसर्ग विषयों को, इनसे सम्बन्धित आख्यान उपाख्यानों को लेकर कल्पशुद्धियों को लेकर संहिता का निर्माण किया जिसमें १८ परिच्छेद थे जो विषय विभाजक रहे। यह पुराण का तृतीय अवतरण था। व्यासशिष्य लोमहर्षण भगवान् व्यास ने चारों वेदसंहिताओं के साथ ही इस पञ्चम वेद पुराणसंहिता का भी अध्ययन कराया था। व्यास के पुराण शिष्य लोमहर्षण थे। इनके द्वारा व्यास की पुराणसंहिता के विषय आख्यान, उपाख्यान, गाथा तथा कल्प शुद्धि तो ज्यों के त्यों लिए ही सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर तथा वंशानुचरित नाम के पाँच विषयों में विभाजित करते हुए इनसे संवलित एक संहिता तैय्यार की गयी जिसे लौमहर्षणी (पुराण) संहिता कह सकते हैं। लोमहर्षण ने अपने छह शिष्यों को यह पुराणसंहिता दी। इनके नाम-गोत्र हैं १. सुमति आत्रेय, २. अग्निवर्चा भारद्वाज, ३. मित्रयु वसिष्ठ, ४. सुशर्मा शांशपायन, ५. अकृतव्रण काश्यप तथा ६. सोमदत्ति सावर्णि। कतिपय विद्वानों का मत है कि इन सभी शिष्यों ने एक-एक संहिता का निर्माण किया, इनका आधार बादरायण की आदि संहिता तथा लोमहर्षण की संहिता थी। इस प्रकार ८ संहिताएँ थी। काश्यप आदि की ३ संहिता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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