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पुराणनिर्माणाधिकरणम् शाकपूणिसंहिताऽपि पुनस्त्रिविधा जाता। यथा
१ क्रौञ्चशाखा।
वैतालकिशाखा।
३ बलाकशाखा। अथान्या वाष्कलसंहिता पूर्वं चतुर्द्धा विभक्ता पुनरन्यथा त्रेधा विभक्ता तदेवं सङ्कलय्य सेयं 'वाष्कलसंहिता सप्तधा समभूत्। यथा
१ बोध्यसंहिता। २ अग्निमाठरसंहिता। ३ याज्ञवल्क्यसंहिता। ४ पराशरसंहिता। १ कालायनिशाखा।
शाकपूणि की शाखा भी पुनः तीन प्रकार की हो गयी जैसे
१. कौञ्च शाखा .. २. वैतालिक शाखा
३. बलाक शाखा
पैल के दूसरे शिष्य जो पैल की दूसरी संहिता है, बाष्कल को दी जाने से वाष्कल संहिता है वह पहले चार भागों में विभक्त की गयी पुनः शाकल्य शिष्य अन्य बाष्कलि की तीन भागों में विभक्त की गयी इस प्रकार संकलन कर वाष्कल संहिता सात प्रकार की हो गयी। जैसे- १. बोध्य संहिता
२. अग्निमाठर संहिता ३. याज्ञवल्क्य संहिता ४. पराशर संहिता १. कालायनि शाखा
एकः पैलशिष्यो बाष्कलः, तस्य संहिताचतुष्टयंबोध्यादि शिष्याध्यापितम्। अपरश्चवाष्कलंश्शाकल्य सब्रह्मचारी तस्य त्रयः शिष्याः कालायनि-गार्ग्य-कथाजप, विष्णुपुराणीय विष्णुचितीयायां आत्मप्रकाश टीकायां चास्य नाम बाष्कलिभारद्वाजः, इन्द्रप्रमति शिष्य-प्रशिष्येषु सत्यश्रियस्तृतीय शिष्यः।
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