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पुराणनिर्माणाधिकरणम्
परिचित व्यक्ति भागवत के पद्य को १५१० वर्षों के अनुकूल व्याख्या से प्रस्तुत करता है, १०००+ ५००+१० संख्या वहाँ मानी गयी है, यह भी प्रमाद ही है अज्ञानजन्य, पञ्च विशेषण से युक्त 'शतम्' शब्द शतम् न होकर 'शतानि' होगा भाषा के स्वरूपानुसार । समस्त हो तो भी सन्दर्भ देखकर ही विग्रह किया जाता है। अतः भागवत के ये मूलगत दोष हैं।
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रोमहर्षण के छः शिष्य थे, इसका स्रोत ब्रह्माण्ड वायु विष्णु पुराण हैं, अतः भागवत में इन्हीं में किसी से यह नामावलि ली गयी है, यहाँ भी भयंकर प्रमाद है, कश्यप अकृतव्रण एक ही व्यक्ति है, अकृतव्रण नाम है कश्यप गोत्र है । भागवत में ये दो भिन्नभिन्न व्यक्ति माने गये हैं। आत्रेय सुमति के स्थान पर त्रय्यारुणि ले लिया गया। शिंशपायन और हारीत कल्पना जन्य है । १५ वें व्यास त्रय्यारुण हैं जैसा कि विष्णु पुराण में व्यासगणना में कहा गया है
त्रय्यारुणः पञ्चदशे षोडशे तु धनञ्जयः । ३.३.१६
पन्द्रहवें परिवर्त में त्रय्यारुण तथा १६ वें में धनञ्जय व्यास थे। इन व्यास को २८वें परिवर्तन के व्यास कृष्ण द्वैपायन के शिष्य रोमहर्षण का शिष्य बना दिया। सुशर्मा शांशपायन को वैशम्पायन अथवा शिंशपायन कर दिया गया। हारीत का पुराण संहिताकार के रूप में कहीं उल्लेख नहीं है । इसी भाँति वायु पुराण आदि में छः में से तीन शिष्य ही संहिताकार कहे गये हैं । भागवत में प्रत्यक्षतः तो नहीं किन्तु सङ्केत रूप से सभी को संहिताकार बता दिया गया है। यदि संहिता है ही नहीं तो शिष्य को क्या दिया जावेगा । दूसरी तरफ कहा जाता है कि 'चतस्रः मूलसंहिताः' ये कौनसी चार संहिता हैं । यदि व्य संहिता को रोमहर्षण की संहिता के साथ लेते हैं रोमहर्षण के शिष्यों के समक्ष जिनमें उग्रश्रवा भी है केवल दो संहिताएँ हैं । यदि छः शिष्यों की संहिताएँ हो जाती हैं तो केवल उग्रश्रवा के समक्ष ८, ७ अथवा छः संहिताएँ हैं । ऐसी स्थिति में ' चतस्रः मूलसंहिताः ' का औचित्य कैसे होगा ?
इस प्रकार की विसङ्गति को दूर करने के लिए श्री स्वामी ने ' चत्वारः' पाठ मानकर समाधान की चेष्टा की कि अध्येता ४ हैं मूलसंहिता की संख्या न देकर बहुवचन का प्रयोग देकर स्वतन्त्रता दे दी— अब अर्थ होगा हम चार 'मूलसंहिताओं' का अध्ययन करते हैं। किन्तु समाधान अब भी नहीं हुआ, व्यास और रोमहर्षण की कुल दो संहिताएँ हैं अतः 'मूलसंहिते' (= दो मूल संहिताएँ) जैसा पाठ होना चाहिये था । बहुवचन है तो न्यूनातिन्यून ३ संहिताएँ चाहिये, वह तीसरी किसकी है?
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