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लिखा था- "नहीं कमाने वाली" और दूसरे पर लिखा था "दो हजार मासिक कमाने वाली" | युवक ने कमाने वाली लड़की का दरवाजा खोला तो सामने एक बड़ा सा शीशा लगा था पास में एक बाल्टी में पानी भरा था। जिसके नीचे लिखा था। अनेक गुणों वाली बीबी चाहिए, परन्तु पहले अपनी शक्ल तो पानी से धो लो। फिर आईने में देखिए क्या आप इस लायक है? तो पुत्रसंज्ञा भी बड़ी भारी संज्ञा है। वित्तसंज्ञा और पुत्रसंज्ञा के त्याग के बाद भी लोकसंज्ञा का त्याग करना मुश्किल होता है।
अखबारों में कई व्यक्तियों की प्रसिद्धि देखकर एक युवक के दिल में भी, अखबार में नाम की भूख जगी। उसे सिनेमा की लत थी। फिल्म में युवती का दृश्य देखा, दृश्यहृदय पट पर अंकित हो गया। सिनेमा हॉल से बाहर बाजार में जाकर छूरी खरीदी सामने आ रहे चौदह वर्षीय बालक की छाती में छूरी भौंक कर भाग गया। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से छान बीन करके उसे पकड़ा। दुसरे दिन समाचार पत्रों में हत्या के समाचार फोटो सहित छपे। वह लड़का अपना अखबार में फोटो देखकर मन ही मन खुश हो रहा था। अब कुछ भी करो। जैल की हवा खानी पड़े, मेरा नाम तो प्रसिद्ध हो गया।
आप हकिकत में ही आत्मसाक्षात्कार करना चाहते है तो लोगों की बहुत अधिक परवाह (निर्लज्ज होकर गलत काम करने, लोगों की परवाह नही करनी, ऐसा आशय नहीं है।) करने जैसा नहीं है। लोग भौतिकता को चाहते है उसी के प्रेमी है इसलिए आध्यात्मिकता की जीवन शैली उन्हे न रूचे स्वाभाविक हैं, परन्तु उनकी नाराजगी से आप नाराज मत होओ करीब-करीब सारा नगर निंदा कर रहा था तब मयणा नाराज नहीं हुई थी और द्वेष भी नहीं किया था। सचमुच मयणा सुन्दरी ने लोकसंज्ञा पर विजय प्राप्त की थी।
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