Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 208
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- अशुभ विचारों से अहित कर लेते हैं। एक शेठ अपने श्रेष्ठ नसल के घोड़े पर सवार होकर पहरेदार के साथ अन्यत्र जा रहे थे। बीच में ही रात हो जाने से किसी एक गाँव में ठहर गये। सेठ धर्मशाला में सोये । पहरेदार को घोड़े की रखवाली के लिए बाहर बिठाया और साथ ही सूचना भी दी कि तू सो मत जाना। घोड़े को कोई ले न जाय, ख्याल रखना । पहरेदार ने भली-भाँति ख्याल रखने का वचन दिया। परन्तु घोड़ा कीमती होने से शेठ को विश्वास नहीं है। इसलिए पहरेदार पर भरोसा नहीं आ रहा है, इस कारण से नींद नहीं आ रही है। जरा सी आंख लगी। किन्तु अचानक फिर घोड़े के ख्याल में नींद उड़ गई। एक प्रहर बीत चूका था। पहरेदार घोड़े की रखवाली करता है या नहीं? देखने के लिए बाहर आया। पहलेदार को पूछाः तुम्हें नींद तो नहीं आयी न! जी नहीं! चिंता में निंद कैसी? सेठ ने पूछा किस बात की चिंता है? सेठ के मन में शंका हुई, कहीं घोड़े की तो बात नहीं होगी! पहरेदार ने कहाः गहरी चिंता में हूँ। सेठ ने शंका से पूछ लिया। घोडा तो ठीक है न! पहरेदार बोला, साहब घोड़े की बात मत पूछो! तब शेठ से रहा नहीं गया, क्या कोई घोड़े को ले गया? पहरेदार ने कहा, शेठजी घोड़े को कुछ नहीं हुआ है । मैं यहां उसी के लिए तो जाग रहा हूँ। शेठ ने पूछा तो चिंता क्या है? पहरेदार ने कहा, मैं सोच रहा हूँ कि इश्वर ने दुनिया बनाई। हम तो कुछ भी बनाते हैं, तो जमीन पर रखते हैं, ईश्वर गजब शक्तिमान है, कि सूर्य, चंदा, ग्रह-नक्षत्र और सितारों को बना कर के आसमान में लटका दिये। शेठ हाँ लेकिन इसमें चिंता की क्या बात है? पहरेदार मुझे इस बात की चिंता है कि अभी तो ईश्वर जागृत हैं, सूरजादि को पकड़कर बैठे हैं किन्तु उन्हें नींद आ जाएगी तो क्या होगा? पहरेदार घोड़े के लिए जाग रहा था। लेकिन वह तो इश्वर की नींद तक पहुंच गया। शेठ ने सोचा यह भी जोरदार विचारक/चिंतक है, अगर ऐसे विचार करता रहेगा तो, नींद नहीं आएगी और घोडे की रखवाली भी अच्छी तरह से होगी। शेठ बोला समस्या तो बडी विकट -202 For Private And Personal Use Only

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