Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 218
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org तथ्य होता है, गहराई होती हैं, दूरगामी परिणाम की सोच होती है। उम्र की वृद्धि के साथ यदि परिपक्वता न आये, स्वाभाव में कोमलता न आये, व्यवहार में वात्सल्य न आये, आचरण में शुद्धता न आये तो ऐसे वृद्ध किसी के प्रियपात्र नहीं बनते है। अतः अपने जीवन में उम्र वृद्धि के Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साथ-साथ सद्गुणों की भी वृद्धि होनी चाहिए। जिस आदमी ने मन, वचन, काया, बुद्धि को सदा सत्कार्यों में ही प्रवृत्तशील रखा है, वह उम्र बढ़ने के साथ अधिक परिपक्व, शांत और परिपक्व होता जायेगा। बिन पूछे वह सलाह भी नहीं देगा, क्योंकि वह समझता है। जिसे हरकोई देना चाहता है और जिसे कोई लेना नहीं चाहता उस चीज का नाम है सलाह । गाड़ी रूक जाएगी तब की बात तब। सलाह मांगने आयेंगे तो दे दूंगा। ऐसे वृद्धपुरूष अनुसरणीय है, आदरणीय है। वृद्ध पुरूषों को खास कहना है कि कभी बिन मांगे सलाह मत देना, मौन रहोगे तो आपका सम्मान बढ़ेगा। बकबक करने की आदत से दूर ही रहना । बूढ़े हो गये इसका मतलब यह नहीं कि हर बात में बोलते रहो, सलाह देते रहो। आपका गौरव इसी में है कि सामने से सलाह मत दो। बड़ों का आदर करने का और सलाह मांगने का छोटों का फर्ज है, दोनों ही अपने फर्ज को निभाएँ तो जीवन जहर नहीं बन सकता । ग्रीस के बहुत बड़े चितंक हो गए, सोक्रेटिस बड़े बातुनी दिनभर शहर में घूमना और लोगों से तरह-तरह की सुख - दुःख की बातें करनी, एक दिन घूमते-घूमते एक वृद्ध के पास पहुँचे, बचपन से लगाकर वृद्धावस्था पर्यंत की बहुत सी बातें पूछ डाली। बूढ़े ने भी खुले दिल से बहुत सी बातें करी । सोक्रेटिस ने कहा- आपका अब तक का जीवन तो बहुत अच्छा गुजरा परन्तु अब वृद्धावस्था में कैसे जी रहे हो - जरा मुझको भी बताइए । मैं भी तो जानुं । बूढ़े ने कहा- जिदंगी भर जो धन-दौलत, माल - मिलकत, कीर्ति जो कुछ भी पैदा किया था अब लड़के जैसा कहें वैसा कर लेता हूँ, जहाँ बिठाये वहाँ बैठता हूँ, जो खिलाये वो खा लेता हूँ, पोतों से खेलता हूँ। उनके काम में जरा भी दखलंदाजी नहीं करता हूँ। उनके कार्यों में जरा भी रोकटोक नहीं करता हूँ। घर के बाबत बीच में नहीं आता हूँ, लड़के I 212 For Private And Personal Use Only

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