Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 219
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूल करे तब भी कुछ नहीं कहता हूँ, किन्तु सलाह लेने आये तो जिंदगी के अनुभवों का निचोड़ दे देता हूँ। परन्तु मेरी सलाह के अनुसार वे लोग चलते हैं या नहीं वह नहीं देखता हूँ। घर में छोटे-बड़े सबसे प्रेम रखता हूँ और आनंद में रहता हूँ। पिछली उम्र में जीवन जीने की यह जडी बुट्टी है। घर में परस्पर एकता और सहकार हो तो जीवन मधुर बनता है। वृद्ध ही अगर कुछ न कुछ आगे पीछे करते रहेंगे तो घर के लोगों का उनके प्रति आदर कहां से रहेगा। घर के वृद्धों का ऐसा जीवन भी हो कि जिससे आने वाली पीढ़ी उनका अनुसरण कहते हुए गौरव महसूस करें। - JAI - - - 1213 For Private And Personal Use Only

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