Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 231
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रिय शिक्षाएँ पापियों की भी भवस्थिति का विचार करना गुणीजनों का बहुमान करना बालक से भी हितकर चीज स्वीकारनी आत्म नियंत्रण करना अन्य की आशा नहीं रखनी दुर्जन के बकवास से क्रोधित न होना / संग मात्र बंधन जानना (समजना) लोगों की निंदा से क्रोधित नहीं होना स्वप्रशंसा से अहंकार न करना दम्भी मत बनो तत्त्व जिज्ञासा रखनी चाहिए धर्मगुरू की सेवा करनी पवित्रता रखनी लोक में किसी की भी निंदा नहीं करनी स्थिरता रखनी थोडे/छोटे से गुण पर भी प्रेम रखना भगवान में भक्ति धारण करनी चाहिए संसार के दोषों का दर्शन करना वृद्ध पुरुषों का अनुसरण करना वैराग्यमाव धारण करना प्रमादरूपी शत्रु का भरोसा मत करो देह आदि की विरूपता सोचनी सम्यक्त्व में स्थिर रहना सदा एकान्त स्थान का सेवन करना आत्म तत्त्व का साक्षात्कार करना ज्ञानानंद से मस्त होकर रहना आत्मज्ञान की निष्ठा का ध्येय रखना कुविकल्पों का त्याग करना सभी जगह आगम को आगे रखना Serving Jin Shasan 129628 gyanmandirkobatirth.org 9414468673 For Private And Personal Use Only

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