Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 217
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रवृत्तियाँ और अहित से अपने आपको बचा लेता हैं। कई बार सही वक्त पर मिली हुई नेक सलाह हमें भयंकर अनर्थ से बचा लेती है। वृद्धों के अनुसरण से व्यक्ति पापों से छुटता है और सध्धर्म में गतिमान बनता है। वृद्धावस्था की खूब प्रशंसा की है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृद्धावस्था बर्फ से भी ठंडी है, जब कि जवानी अग्नि से भी गर्म है। वृद्धावस्था अकलमंद और समझदार है जब कि जवानी दिवानी होती है । वृद्धावस्था देखती है और सोचती है जब कि जवानी देखती है और बेचैन बन जाती है। वृद्धावस्था में स्थिरता होती है जबकि जवानी में चंचलता होती है। वृद्धावस्था में गम्भीरता होती है जबकि जवानी में उद्दंडता होती है । कल्पसूत्र में वृद्ध की दूरदर्शिता की एक कहानी आती है। एक बार अनेक व्यापरी अनेक प्रकार के किरियाने गाड़ियों में भर कर धन कमाने के लिए परदेश जाने को घर से निकले। मार्ग में उन्होंने एक अटवी/जंगल में प्रवेश किया। वहाँ उन्हें तेज प्यास लगी, परन्तु खोज करने पर भी उन्हें वहाँ पर जलाशय न मिला। पानी की खोज करते हुए उन्होंने चार बांबियाँ देखी। एक बांबी को फोड़ने पर उसमें खूब पानी निकला। उन सब ने अपनी प्यास बुझाई और मार्ग के लिए जलपात्र भी भर लिये। उनमें से एक वृद्ध वणिक बोला कि— भाइयों! हमारा काम हो गया चलों, अब दूसरी बांबी फोड़ने की जरूरत नहीं है। निषेध करने पर भी उन्होंने दूसरी बांबी फोड़ डाली। उसमें से उन्हें बहुत सा स्वर्ण/सोना प्राप्त हुआ । वृद्ध के निवारण करने के बावजूद उन्होंने तीसरा शिखर (बांबी) फोड़ा, उसमें से बहुत सारे रत्न निकले। अब फिर वृद्ध वणिक ने जोर देकर कहा कि भाइयों । अब रहने भी दीजिए हम जो चाहते थे हमें मिल चूका है। अब हमें यहाँ से आगे चलना चाहिए। उस वृद्ध वणिक के रोकने पर ध्यान न देकर उन्होंने चौथे शिखर को भी फोड़ डाला। उसमें से एक दृष्टि विष सर्प निकला। उसने अपनी क्रूर दृष्टि द्वारा सब को मौत के घाट उतार दिया, जो उनमें हितोपदेशक वृद्ध था वह न्यायवान था, अतः किसी समीपवर्ती देवता ने उसे अपने स्थान पर रख कर बचा लिया । वृद्धों की बातों में 211 For Private And Personal Use Only

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