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उखेड़ कर मैं खेत बोता था, तब अच्छे धान्य पैदा होते थे। अब यदि मेरे लडके निश्चिंत रह कर खेत में घास-तृण आदि नहीं उखाडेंगे तो धान्य पैदा नहीं होने से उन बेचारों का क्या हाल होगा? गुरू ने कहा कि है महानुभाव। तुमने यह दुर्ध्यान किया है, ध्यान नहीं। हमें ऐसा चिन्तन नहीं करना चाहिए। गुरू के कहने पर उस मुनि ने मिच्छामि दुक्कडम् दिया।
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