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बरसात में कहाँ जाऊँ? आप मुझे आशरा दिजिये। यूं बात करते-करते अपना रूप भी दिखा रही है। घुंघट निकाला हुआ है इस कारण से मुँह नहीं दिख रहा है । जैमीनी ने उस स्त्री को एक कमरा दिया और कहा कि यहाँ शांति से रहो । उस स्त्री ने अंदर से कमरा बंद कर दिया। वह स्त्री अंदर से मधुर गीत गा रही है। जैमीनी ने रूप देखा था । गीत सुनते-सुनते विवेक भान भूल गये। विचार बिगड़ गये। एकांत बुरा हैं। रात्रि के समय उसी स्त्री का दरवाजा खट् खटाते हैं। वह स्त्री दरवाजा नही खोल रही है। तब दरवाजे के उपर चढ़कर खिड़की से अंदर घुसते हैं और उस स्त्री को स्पर्श करते हैं। घुंघट उठाने जाते हैं वही गुरु की सफेद दाढ़ी हाथ में आई और गुरूजी का चेहरा दिखता है। वह जैमीनी तो स्तब्ध रह गया, शरमा गया गुरूजी आप? गुरूजी ने कहा हाँ, बेटा! ड़र मत एकांत बुरी चीज है, पचास-पचास कन्याओं को छोड़कर संयम की साधना साधने वाले रथनेमि गुफा में रहे हुए थे। बिजली के चमकारे के समान राजीमती के रूप को देखकर भोग की याचना कर बैठे। यह है एकांत का परिणाम | गुरू की बात को हृदय में स्थापित नहीं की और गुरु से कहा यह वाक्य मेरे लिए नहीं है, तो कैसी हालत हो गई। जैमीनी ने कहा, गुरूदेव ! क्षमा किजिये, आपकी बात का स्वीकार नहीं किया परन्तु आज अनुभव हो रहा है कि एकांत खराब में खराब चीज है । अन्य के लिए एक ही बार परन्तु मेरे लिए दो बार। आपने सच कहा था। तो कभी किसी के लिए एकान्त खतरनाक बन जाता है, पतन का निमित्त बन जाता हैं ।
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