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सुरक्षित नहीं रख पाता। उसे मलिन बना लेता है या उससे भ्रष्ट हो जाता है। वर्तमान युग की आधुनिकता को देखकर कभी-कभी हमें जिनेश्वर देव के वचनों में शंका होने लगती है। जो सत्य हमारी ज्ञान सीमा से परे है, उसे न मानकर केवल प्रत्यक्ष जगत् को ही हम सत्य मानने लगते हैं। ऐसा करने से हमारा सम्यक्त्व असुरक्षित हो जाता है।
शास्त्रकारों ने कहा है। तमेव सच्च णिसक, जजिणेहि भासिय।
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