Book Title: Priy Shikshaye
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 191
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - जन्मादि दुःखरूप, कष्टरूप लगते नहीं है। फिर एक बार अंतिम प्रश्न पूछ रहा हूँ। आप मोक्ष क्यों चाहते हो? जन्म जरा मृत्य से छुटकारा पाने के लिए। जन्म जरा मृत्य से छुटकारा क्यों चाहते हों? है कोई जवाब आपके पास? इसका जवाब है- हम मोक्ष में इसलिए जाना चाहते हैं कि वहां जाने से हमारी मूलभूत पाँच इच्छाएँ परिपूर्ण हो जाती है। सभी मनुष्यों की मूलभूत पाँच इच्छाएँ है। (1) अनंत काल तक जिन्दा रहने की इच्छा, (2) दुनिया का सर्वस्व जाने लेने की इच्छा, (3) कभी जाये ही नही ऐसे सुख की इच्छा, (4) किसी के अधीन नहीं अपितु स्वतंत्र रहने की इच्छा, (5) सभी को अपने अधीन रखने की इच्छा । क्या आप को अनंत काल तक जीवित रहने की इच्छा है? क्या आपको दुनिया का सबकुछ जान लेने की इच्छा है? क्या आप को कभी न जाये ऐसा सुख पाने की इच्छा है? क्या आपको स्वतंत्र रहने की इच्छा है? क्या आपको लोगों को अपने वश में रखने की इच्छा है? तो क्या ये पाँचों ही इच्छाएं पूरी हो सकती है? हाँ पूरी तो, हो सकती है लेकिन यहाँ संसार में पूरी नहीं हो सकती। (1) यहाँ संसार में तो जनम-मरण के फेरे चालु ही रहते है। ज्यादा से ज्यादा तेत्तीस सागरोपम की आयु होती है, इससे अधिक नहीं। इससे ज्यादा कहीं नहीं, जन्म लेते रहो । मरते रहो। अनंतकाल तक यहाँ जीते रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमें मरना अच्छा नहीं लगता, परन्तु फिर भी बार-बार मरना पड़ता है। मरना अच्छा नहीं लगता क्योंकि अमरता आत्मा का स्वाभाव हैं और अमरता मोक्ष में ही मिल सकती है। (2) सर्वस्व जाने लेने की हमारी तीव्र इच्छा ...... तभी तो पढ़ते रहते है, पूछते रहते है, सुनते रहते हैं, चर्चा गोष्ठियाँ करते रहते हैं। पर क्या केवल पढ़ने से कोई सर्वज्ञ हुआ है? सर्वज्ञ बनने के लिए वीतरागता चाहिए। वीतरागभाव आने के बाद ही केवल ज्ञान होता है। जो मोक्षगामी जीव होते है, उन्हें ही केवल ज्ञान होता, मोक्ष बिना सब-कुछ जान लेने की इच्छा कभी पूर्ण हो सके वैसा नहीं है। (3) सांसारिक सुख कभी न जाये वैसे है क्या? ज्ञानियों की दृष्टि से सांसारिक सुख को, सुख नहीं कहा -185 For Private And Personal Use Only

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