________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
है। अभी नहीं बाद में, आज नहीं कल कर लेना, जल्दि क्या है? आलसी मनुष्य की ये सब से गंदी आदत है कि बाद में करेंगे, कल करेंगे या होता है चलता है। बाप ने आलसी बेटे को समझाते हुए कहा कि बेटा! अब से मैं तेरे लिए ऐसी व्यवस्था और सुविधा कर दूंगा कि तू बटन दबायेगा और सब चीजें तेरे सामने हाजिर हो जाएगी, बटन दबायेगा तो पानी आ जायेगा। बटन दबायेगा तो कपड़े आ जाएँगे। बटन दबायेगा तो बाथरूम आ जाएगा। आलसी ढब्बू ने कहा- परन्तु बटन दबाएगा कौन? आलसी मनुष्य आध्यात्मिक क्षेत्र मे तो ठीक दुनियावी क्षेत्र में भी कुछ नहीं कर पाता है, सिर्फ जनसंख्या में ही उनकी गिनती होती है। बैठे-बैठे केवल टाइम पास करते है। हराम का खाते हैं। भोजन तीन प्रकार के हैं- (1) काम भोजन (2) प्रभु भोजन और (3) हराम भोजन । जो मेहनत करके, काम-काज करके, मेहनत-मजदूरी करके खाया जाता है। वह काम भोजन है। अपंग, अनाथ, लूला, असमर्थ, असहाय अथवा कमजोर जो खाते हैं वह राम भोजन । और शक्ति होने पर भी, काम किये बिना, धर्म प्रवृत्ति किये बिना जो बैठे-बैठे खाते हैं वह हराम भोजन है। यद्यपि वह अपने पुण्य का खाता है, इस कारण से हराम भोजन नहीं कहा जा सकता फिर भी लोग उसके आलस्य को देखकर ऐसा ही बोलेंगे। स्वभावतः मनुष्य को आलस बहुत प्रिय है, पड़े रहना उसे अच्छा लगता है। काम से जितना बचा जाय उतना बचता है। कामचोरी करता रहता है। जब कुछ काम नहीं था तब हम बेकार है हमें काम चाहिए ऐसा चिल्लाने वाला आदमी काम मिलते ही कामचोर हो जाता हैं।
ऐसा लगता है कि इन सब यंत्रों का आविष्कार मनुष्य की आलस से ही हुआ है। पैदल चलने की आलस के कारण मोटर गाड़ियों का, गिनने की आलस के कारण केलकुलेटर का, लिखने की आलस के कारण प्रेस का, ताजा खाना पकाने की आलस के कारण फिज का, कपड़े धोने की आलस के कारण वोशिंग मशीन का जन्म हुआ है। यंत्रों का आविष्कार चाहे किसी भी कारण से
-175
-
-
For Private And Personal Use Only