________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
जागरं ति । अमुनि सदा सोते रहते हैं एवं जो जागते रहते है वे मुनि होते हैं। इस निद्रा-पिशाचिनी को जीतकर धर्म साधना में तत्पर बनों अन्यथा विषय-कषाय रूप जेबकतरे सभी कुछ ले भागेंगे, सब कुछ लूट लेंगे, और आप हाथ मलते रह जाओगे। यह संसार सराय है, यहाँ सम्यक्त्व रूपी माल लेकर आये हो। अगर यहाँ निद्रा में पड़े रहे तो विषय-कषायादि चोर माल लूट ले जायेंगे फिर पछताना पड़ेगा। हम जैसे आपको चेता रहे है फिर भी न चेतो तो आपकी मरजी । गुरू क्या कर सकते हैं यदि आप में ही चूक हैं। चूक हमें हानि पहुँचाये उससे पहले जाग जाना ही बेहतर हैं। (5) विकथा, पाँचवा और अन्तिम प्रमाद है विकथाओं में रस लेना। विकथा के चार प्रकार हैं। (1) स्त्रीकथा, (2) देशकथा, (3) भोजनकथा और (4) राजकथा । जब इन कथाओं में आप चले जाओ तो समझना कि मैं प्रमाद मैं हूँ। जब गप्पे लगा रहे हो तब समझना कि: मैं प्रमाद में हूँ, हमारी बातों के विषय अधिकतर इन चारों में से कोई एक होता है। जब फिल्म देखो, टी.वी. देखो, सौन्दर्य स्पर्धा के समाचार सुनो, शादी विषयक बात करो तब समझना कि मैं प्रमाद में हूँ। व्यापार के सम्बन्ध में क्रिकेट और फुटबॉल के सम्बन्ध में जब चर्चा कर रहे हो तो समझना कि मैं प्रमाद में हूँ। खाने-पीने की चीजों के विषय में चर्चा करना, कौनसी आइटम कैसे बनती है उस विषय में किताब पढ़ना, होटल के विषय में पूछना, भोजन कथा है। देश विदेश के सम्बन्ध में, राजनीति के सम्बन्ध में युद्ध-लड़ाई आदि के सम्बन्ध में जब सोचते हैं तो समझना मैं प्रदाम में हूँ। ये पाँचों ही प्रमाद आत्मोन्नति में बाधक है इसलिए अपने आप को सम्हालों और पाँचों ही प्रकार के प्रमाद को छोड़ो। प्रमाद अत्यन्त खतरनाक है। प्रमाद के वशीभूत होकर चौदह पूर्वधर महर्षियों का भी पतन हो गया है, और वे नरक व निगादे में चले गए हैं। इसी प्रमाद के कारण अनेक आत्माएँ संयम जीवन से भ्रष्ट बनी है। फूल स्पीड़ में गाड़ी दौड़ाने वाला व्यक्ति थोड़े समय में ही लम्बा रास्ता तय कर लेता हैं, परन्तु कुछ क्षणों की झपकी ले लेवें, तो बैठे हुए सवारियों को घर पहुँचाने की
179
F
..
For Private And Personal Use Only