________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
लूंगा। चौथा बोल पडा मैं डॉक्टरी का अध्ययन करूंगा। फिर डॉक्टर बनूंगा। बिमारों को ठीक भी नहीं करूंगा और मारूंगा भी नहीं। बस! यूं ही दवाई इन्जेक्सन देकर धनवान बन जाऊंगा। पाँचवा बोला मैं एम.कॉम. करके प्रोफेसर बनूंगा। कॉलेज में पढ़ाने का पगार नहीं लूंगा, पर्सनल क्लासिस खोलूंगा, विद्यार्थियों को परीक्षा पेपर की जानकारी देकर उनसे रूपये ऍठता रहूँगा। छठे ने कहा मैं एल.एल.बी. का अध्ययन करूंगा, और वकिल बन कर केस लडूंगा और दो में से किसी को नहीं जिताऊंगा, फिर मैं दोनों और से पैसे लेकर मालामाल हो जाऊंगा। सातवें ने कहा मैं तो इन्जियनियर ही बनूंगा। क्योंकि मकान, बिल्डिंग, फैक्ट्री आदि के निर्माण में नकली सिमेन्ट लगाकर पैसे तुरन्त मिल जाते है अतः मैं इन्जिनियर बनूंगा। फिर अंतिम विद्यार्थी ने कहा मैं तो राजनीति का अध्ययन करूंगा। फिर राजनीति में घुसकर नामी नेता बन जाऊंगा, बाद में तुम जैसे लोग काम निकलवाने के लिए आएंगे बिन पैसे खाये काम नहीं करूंगा। मैं भी स्वीज बैंक में खाता खुलवाऊंगा।
इस युग में ज्यादातर डिग्रीप्राप्त लोगों की यही धारणा और मानसिकता है। परन्तु यस्मिन्नुदिते विभाति रागगणः तज्झानमेव नास्ति । जिसकी मौजुदगी में राग-द्वेष विषय ममता आदि चकमते है। वह ज्ञान की रोशनी नहीं हो सकती। ज्ञान के प्रमुख चार काम है-(1) मोह को हटाना (2) सन्ताप रहित करना (3) चित्त को एकाग्र करना और (4) आत्मा के सहज गुणों का पालन करवाना।
-90
For Private And Personal Use Only