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(2) जिसकी मधुर वाणी सतत बह रही हो, जो बहुत बोलता हो, जिसकी बोली से आप प्रभावित हो जाते हो, उसके वचन को ही शास्त्र वचन मानने को तैयार हो जाते हो तो सावधान हो जाना । अपनी वाणी के बल से अपनी ही बात सिद्ध कर रहा हो तो ऐसे आदमी के पास फटकना भी मत ।
(3) जिसका हृदय अनावृत्त हो किसी के भी साथ खुल्ले दिन से बात न करता हो, कुछ छिपाने की कोशिश करता हो, और हमारी बातें जानने की कोशिश करता हो, बहुत ही धीरे-धीरे बोलता हो, उससे भी सो गज दूर ही
रहना ।
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(4) जो तालाब काई से आच्छादित हो, क्योंकि काई के नीचे क्या है उसका कुछ भी पता नहीं चलता है ।
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(5) एक बादशाह बचपन में एक स्कूल में पढ़ता था। उसका एक मित्र था बाद में वह मित्र संन्यासी हो गया। उसने सब छोड़ दिया, बादशाह भी युवा हुआ, गद्दी पर बैठा । दूर-दूर के राज्य जीते, राज्य को विस्तारित किया। नईं राजधानी बनाई । वैभव की दूर-दूर तक किर्ती फैली एक दिन पुराने मित्र फकीर का आना हुआ। राजा ने कहा मेरा मित्र आ रहा है। सब कुछ त्यागा है। बहुत महान है। हम उसका स्वागत करे शाही सन्मान दें। सारे नगर को सजवाया जिस शाम को प्रवेश होना था। सारे नगर में दीपावली मनवायी । रास्तों पर कालीन बिछवाया। राजा खुद दरबारियों को लेकर स्वागत करने गया। कुछ लोगों ने उस फकीर को जाकर कहा, राजा अपना धन दिखलना चाहता है। संपत्ति वैभव दिखलाना चाहता है, इसीलिए तो सारी राजधानी सजवा रहा है। ताकि तुम्हें हतप्रद कर शके । तुम्हें दिखा सके कि तुम क्या हो तुम्हारे पास क्या है। अकिंचन दरिद्र भीखारी । उस फकीर ने कहा अगर वह दिखाना चाहता है अपनी संपत्ति, वैभव तो हम भी उसे दिखा देंगे। सुनने वाले हैरान हुए, फकीर के पास दिखाने को क्या था । शिवाय फटे पुराने कपड़ों के, दुबले पतले शरीर के शिवा उसके पास कुछ भी नही था, लेकिन कहा हम भी दिखला देंगे। जिस दिन नगर प्रवेश हुआ। उन बहुमूल्य ईरानी कालीनों पर
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