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और जाओ यहां से। देहाती डर गया अगर पगड़ी उठायी तो गया काम से सारी पोल-पट्टी खुल जायेगी। फिर भी साहस करके वहीं बैठा रहा। पुलिस वाले फिर कहते हैं कि चलो उठो, जाओ यहाँ से, तो वह गिड़गिड़ाने लगा और कहने लगा साहब माफ करना .... दरअसल बात यह है कि मेरे घर में एक बहुत प्यारा तोता था। वह हमेशा राम..... राम... बोलता था, अगर दरवाजे पर टांग देता तो कोई भी अतिथि आता तो सुस्वागतम् कहता था, नमस्कार... नमस्कार...... बोलता था, एक दिन मेरे बेटे ने पिंजरा खोल दिया तो तोता उड़कर यहाँ आ गया, काफी समय के बाद आज यह पकड़ में आया है इसीलिए मैंने पगड़ी से तोते को ढक दिया है सोच रहा हूँ पहले पिंजरा ले आऊं फिर तोते को ले जाऊं, पर डर है मैं जाऊं और तोते को कोई ले न जाये। दोनों पुलिस वाले सोचते हैं कि तोता तो अच्छा है, मौका भी अच्छा है, दोनों नजरें मिलाते है, दोनों एक दूसरे के भावों को समझ जाते हैं, और देहाती को पिंजरा लेने रवाना कर देते है। देहाती को यही चाहिए था, वह भागा यही सोचकर कि जान बची तो लाखों पाये, पीछे मुडकर नहीं देखा। यहाँ दोनों पुलिस वालों में विवाद हो गया कि तोता कौन ले। विवाद काफी बढ़ गया फिर आखिर यह निर्णय लिया गया कि दोनों एक-एक हाथ डाले जिसके हाथ में तोता आयेगा, वही तोते को ले जाएगा। दोनों ने हाथ डाल काफी देर तक ढूंढा परन्तु तोता हाथ में नहीं आया उनके हाथ जरूर अपवित्र हो गये। देहाती ने माया करके खुद को अपित्र किया और पुलिस वालों ने पगड़ी में हाथ डालकर अपने को अपवित्र किया।
शिष्य गुरू से पूछ रहा है कि हे भगवन्! दुनिया में सबसे पवित्र आदमी किसे मानना? शिष्य के इस प्रश्नोत्तर में गुरू कहते है- हे वत्स! स्नान से खुद के शरीर को स्वच्छ-शुद्ध पवित्र मानने वाले बहुत है। परन्तु वह बाहरी पवित्रता है, उससे सिर्फ शरीर का मेल दूर होता है। वह पवित्रता क्षणिक है, क्योंकि कुछ ही देर में शरीर फिर मलिन/गंदा हो जायेगा। भीतर तो गंदगी का प्रवाह बहता ही रहता है। वास्तविक पवित्रता तो उसे मिलती है कि जो
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