________________ 7 PPAC Guranas MS होंने कहा-'हे रामन ! वृक्षा मन्तप्त मा होजो यह किसी देवाना या मन्धर्व-सन्या का चित्र महें। है। मैं सविस्तार वर्णन कर रहा हूँ. कृपया ध्यानपूर्वक सुनो। इसी मरतक्षेत्र में कुण्डनपुर नाम का एक प्रसिद्ध नगर है, जहाँ के पाजा भीष्म बड़े प्रतापी एवं धर्मानुरागी हैं। उनकी रानी का नाम श्रीमती है। ये की कन्या यह रुक्मिणी है, जिसका चित्रपट आप के समक्ष है। रुक्मिणी मी शुभ-लक्षणों से संयुक्त निगोची। मानवी है / मैं ने सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण किया है। विद्याधरों एवं भूमिग्रोवरियों की.शजधानी एवं महलो में ऐसी अनुपम सुन्दरी अब तक मेरे देखने में नहीं आई थी। मेरे विचार से सो पृथ्वीतत्व पर कोई प्रेस नारी-रत्न हीं है, जो रूक्मिणी के अंगुष्ठ तक को सौन्दर्य में समता कर सके। यह नक्थैमा सर्वगुण सम्पन्न है। इसके जन्म से तो स्वषं सृष्टि को रचना-प्रतिमा धन्य हो गई। इसके पूर्व उसको नारी रचना कभी इतनी सम्पूर्ण नहीं हुई थी। किन्तु जब तक यह शजकन्या विवाहित हो कर बाप के महल में ना जाये, सब सक आप यह रहस्य किसी प्रकार प्रकट न करें। बाप का नारायण रूप में अवतार मी तभी सार्थक होगा, जब सक्मिणो आप की पत्नी बनेगी।' इस प्रकार नारद ने रुक्मिणी की प्रशंसा कर श्रीकृष्ण को मोहित कार लिया। श्रीकृष्ण ने प्रश्न पूछा-'हे मुनिराज ! आप यह तो बतलायें कि शक्मिणी कुमारी है या विवाहिता नारद ने कहा-'यह अपूर्व सुन्दरी अभी कुमारी है, किन्तु उसके भ्राता सूप्यकुमार ने बिना किसी से पसामर्श लिये ही चेदि नरेश शिशुपाल को विवाह की स्वीकृति दे दी है। किसी समय शिशुपाल ने कुण्डनपुर के युवराजरूप्यकुमार का सम्मान किया था, फलस्वरूप राजकुमार ने अपनी इच्छा से यह वचन दिया है। अतराव आप को चाहिये कि संग्राम में चन्देश (चेदि) के राजा शिशुपाल को परास्त करें, अन्यथा रुक्मिणी का प्राव होना असम्भव-सा है।' नारद का परामर्श सुन कर श्रीकृष्ण कुछ उदास हो गये / उमणी माज्या भएe मांप गये। उन्होंने तत्काल हो कहा-'आप धैर्य धारण करें। कायर बनने से कार्य सिद्ध नहीं होगा रुविमरभि बिना बाधा के हो प्राप्त हो सकेगी--शूरवीरों के लिए सब कुछ साल है, पर काय के नहीं। बबराव चिन्सा की भावशकता नहों। जिस रूपवती रुक्मिणी की छध पाप मशिता . जसको सता-पिता के महल में देख पाया हूँ। आप यह दृढ़ विश्वास कर लें कि सहभाप के महल में AAP यो। किंतु 'उद्योगिनः पुरुयसिंह मुपैति लक्ष्मी'-- योग्य पुलवाम-सिंह को ही निधि प्राpadant, SAR Jun Gun Aaradha