________________ PPA Cara . MS | को भक्ष्य बतलाया गया हो, जहाँ कुपेय को पेय कहा जाता हो, वह धर्म कैसा?' विप्रकुमार के ऐसे कटु-वचनों से समस्त द्विज कुपित हो गये। उन्होंने निश्चय कर लिया कि इस क्रियाकाण्ड-विरोधी द्विज की हत्या कर डालो. क्योंकि ऐसे धर्म-विरोधी दुष्ट का वध कर डालने में रञ्चमात्र भी पाप का बंध नहीं होता। क्रोध से / 145 उन्मत्त वे द्विजगण तब कुमार की ओर झपटे। प्रद्युम्न ने जब देखा कि ये द्विजगण तो वास्तव में उसका | प्राणनाश करने को तत्पर हैं, तब उसने अपनी विद्या की सहायता से उन्हें परस्पर लड़वा दिया। वे एकदूसरे पर प्रहार करने लगे। इस प्रकार वे मूढ़ अपनी खोटी करनी के फलस्वरूप धराशायी हो गये। _ विनों की ऐसी दुर्दशा देख कर सत्यभामा ने हास्यपूर्वक कहा- 'हे विप्रों ! आप लोग व्यर्थ में परस्पर युद्धरत क्यों हैं ?' विप्रकुमाररूपी प्रद्युम्न से भी उसने कहा-'हे बटुक ! तू इन विनों से क्यों कलह करता है ?' तब वह बटुक सत्यभामा के निकट जाकर कहने लगा- 'हे रानी ! यह सब तेरी ही माया है। इन विनों से तू मेरो हत्या करवाना चाहती है. अन्यथा इनका निषेध क्यों नहीं करती ?' सत्यभामा ने कहा- 'हे बटुक ! मैं समस्त घटना-चक्र देख चुको हूँ। अतः तुम मेरे समक्ष ही भोजन कर लो।' विप्र-वेशी प्रद्युम्न भोजन करने हेतु सनद्ध हुआ। पक्वान्नादि स्वादिष्ट व्यअन परोस दिये गये। बटुक ने आरम्भ में ही सत्यभामा से स्वीकृति ले ली कि जब तक उसकी तृप्ति न हो जाए, तब तक भोजन अविराम परोसा जाए। वह क्षुधित गजराज की मांति भोजन करने लगा। बागे-पीछे जो भी अत्र लाया जाता, उसे वह चट कर जाता था। विवाह में निमन्त्रित होकर जो नारियाँ आईं थों, वे भी कौतुकवश बटुक को भोजन परोसने लगों। सत्यमामा के घर में जितना पक्वान था, वह सब परोस दिया गया एवं उसे विप्रकुमार ने उदरस्थ कर लिया। यहाँ तक कि गज, मश्व आदि पशुओं के आहार के लिए जो अन्न सुरक्षित रखा गया था, उस भी वह उदरस्थ कर गया। अब तो भारी कोलाहल मच गया। लोगों ने समझा कि विप्रकुमार का वेश धारण कर कोई भत-प्रेत ही बा गया है / कौतुक देखने के लिए दल-की-दल नारियाँ एवं पुरुष आने लगे। इधर विप्रकुमार की थाली 245 खाली पडी थो, वह चिल्ला रहा था- 'मेरी थाली में अन्न क्यों नहीं परोसा जाता? क्या सत्यभामा कृपण या दरिद्र है ? जिसके भानुकुमार समान तेजस्वी पुत्र हो, स्वयं नारायण स्वामी हों, विद्याधरों का नायक जिसका पिता हो, वह भी कृपशता करे, यह महान् माशूका विषय है।' चिल्लाते-चिल्लाते वह बटुक शनैः-शनैः अधिक Jun Gun Aarad