________________ P.P.AC.GurmanasunMS. दुराचारी ने उसके विमान को रोका है, उसे वह तत्काल यमलोक पठायेगा। दैत्य के मन में माँति-भाँति के सङ्कल्प-विकल उठने लगे। जब उस दुर्बुद्धि को (कु) अवधिज्ञान से ज्ञान हो गया—'पूर्व-जन्म में जिस राजा मधु ने मोहवश उसकी पत्नी का अपहरण किया था, वह दुराचारी (मधु) अपनी पर्याय का परित्याग कर तप के प्रभाव से स्वर्ग में गया एवं वहाँ देवाङ्गनामों के साथ असीम सुखभोग कर अब पुण्योदय से रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न हुआ है। पूर्व-जन्म में इसने मुझे जानबूझ कर घोर दुःख दिया था, किन्तु मेरा इस पर कोई वश न चल सका। उस समय मैं सर्वथा असमर्थ था,किन्तु आज मैं सब तरह से समर्थ हूँ। फिर अभी यह तो मात्र सद्योत्पन्न शिशु ही है, अतः इसे नष्ट करने में कोई कठिनाई भी नहीं होगी। यदि इसका विनाश न हुआ, तो मेरा दैत्य होना ही किस लाभ का?' बड़ी देर तक उसने सोचा-विचारा, फिर अन्त में दृढ़ निश्चय कर वह रुक्मिणी के महल के समीप उतरा। चारों ओर सुभट प्रहरी सत्रद्ध थै! पहिले तो उसे कठिनाई प्रतीत हुई, पर कुछ विचार करने पर उसे स्मरण हो माया कि वह दैत्य है एवं ये मनुष्य हैं-अतः वह वृथा असमअस में पड़ा हुआ था। क्रोध से तमतमाता हुआ वह सुभट प्रहरियों के समीप आया एवं मोह-निद्रा से सब को मूञ्छित कर कपाटों के छिद्र से भीतर प्रविष्ट हो गया। उसके प्रभाव से रुक्मिणी भी अचेत हो गई। दैत्य ने बिना किसी बाधा के शिशु को पर्यङ्क पर से उठा लिया। फिर महल के कपाट उन्मुक्त कर वह बाहर निकला एवं अपने विमान पर मारूढ़ होकर आकाश में उड़ चला। क्रोध से उसके नेत्र रक्तवर्ण हो रहे थे। उस दैत्य ने शिशु की ओर देख कर बड़े जोर से घुड़का-'रे दुष्ट महापातकी! तू ने पूर्व-भव (जन्म) में महापाप किया था। राजा मधु के रूप में तब तू महाबलशाली था। उस समय तू ने मेरी प्राणप्रिया पत्नी (चन्द्रप्रभा) का अपहरण किया था। मेरी असमर्थता के कारण तू ने ऐसा अन्याय कर डाला था। अब कहो तो, तुम से अपना प्रतिशोध कैसे चुकाऊँ ? तेरे शरीर को आरे से चीर कर खण्ड-खण्ड कर दूँ अथवा समुद्र की लहरों में प्रवाहित कर दूँ, जहाँ मगर-॥ मच्छादि क्रूर जीव तुझे निगल जायें। कहो तो हजारों टुकड़े-टुकड़े कर तेरा बलिदान कर दूँ अथवा पर्वत की | गुफा में ले जाकर शिलाओं से चूर्ण कर दूं। अरे दुर्बुद्धि ! तुझे कौन-सा कष्ट दूँ? तू ने घोर अनर्थ किया था। स्वयं बतला तुझ से किस प्रकार प्रतिशोध चुकाऊँ?' इस प्रकार उन्मत्त हो कर अबोध शिशु को वृथा धमकाते हुए वह दैत्य पर्वत के तले विचूर्ण कर डालने के विचार से उसे तक्षक नामक पर्वत पर ले गया। Jun Gun Aaradha Trust