________________ // 141 PP ACCUMS || करने नहीं देती हो, यह कितने आश्चर्य की बात है।' वृद्ध ब्राह्मण को रोसी बेतुको बातें सुन कर वे रक्षिकायें कहने लगों-'अरे ब्राह्मण ! वृद्धावस्था में भी तुझे विनोद सूझता है। विचार करने का विषय है कि कहाँ तू जर्जर वृद्ध एवं कहाँ वह कुरुराज की सुन्दरी युवती कन्या? दुसरा प्रश्न यह कि एक बड़ी सेना से अथित उस | कन्या का मीलों द्वारा अपहरण होना नितान्त असम्भव है।' अभी वे रक्षिकायें कथोपकथन में संलग्न थी, तभी वह ब्राह्मण धीरे-धीरे वापिका में पैठने लगा। वापिका की रक्षिकायें कुपित हो गयों तथा उसे पीटने लगीं। किन्तु ज्यों हो उस ब्राह्मण के गात (शरीर) से उन रक्षिकाओं का स्पर्श हुआ कि उन नारियों में एक विचित्र परिवर्तन आ गया। वे सब-को-सब रूपवती एवं गुणवती हो गईं। जब उन्होंने एक दूसरे का रूप देखा, तो चकित हो गयीं। वे वृद्ध ब्राह्मण की प्रशसा किये बिना न रह सकों। वे कृतज्ञतापूर्वक कहने लगों-'हे द्विजद्वेष्ठ ! तुम ने हमारे ऊपर असीम अनुकम्पा की। हमें तो तुम्हारे सदृश उपकारी कोई अन्य नहीं दीखता।' वे सब रक्षिकायें अपना-अपना रूप देखने के लिए वापिका से बाहर निकल आयों। जिसके एक नेत्र था, वह सामान्य दो नेत्रोंवाली हो गयी ; जो गँगी थी, वह वाचाल हो गयी एवं जो कुरूप थी, वह रूपवती हो गई। वे रक्षिकायें बाहर आकर वार्तालाप में निमग्न थों कि इस मध्य उस ब्राह्मण ने अपना कमण्डल वापिका में डाल कर उसका सब-का-सब जल भर लिया एवं बाहर निकल कर वहां से प्रस्थान कर गया। इतने में एक रक्षिका अपनी पिपासा शान्ति हेतु जल पीने के लिए वापिका में गयी। किन्तु वहाँ जाकर उसने पाया कि वापिका शुष्क हो गई है। यह आश्चर्य देख कर उस रक्षिका ने आकर अन्यान्य रक्षिकाओं से कहा कि आज उस वृद्ध ब्राह्मण ने उन सब को ठग लिया है। वह चतुराई से वापिका का समस्त जल अपने कमण्डल में भर कर ले गया है। वे सब-की-सब वापिका को ऐसो दुर्दशा देख कर क्रोध से उन्मत्त हो उठीं। वे यह चिल्लाती हुई ब्राह्मण के पीछे दौड़ी कि तू ने यह क्या अनर्थ कर डाला ? किन्तु वह ब्राह्मण तो तब तक नगर में पहुँच गया था। अब वह नगर में मित्र-भित्र कौतुक करने लगा। उसके अपूर्व कौशल से नगर की समस्त शोमा जाती रही। मणिमुक्ता, आभूषण, सगन्धित द्रव्यादि परिवर्तित होने लगे। गज, अश्व, गौ एवं भैंस आदि अन्य पशुओं में परिवर्तन || त्र होने लगा - अर्थात् गज अब ऊँट प्रतीत होने लगा, अश्वगण वृषभ-से दिखने लगे, आदि। वापिका को रक्षिकायें उसके पीछे-पीछे दौड़ती हुई जा रही थीं। जब ब्राह्मण ने देखा कि इनसे पिण्ड छुड़ाना कठिन है,तो Jun Gun Aa ~