________________ P.P.AC-Guranasuri.MS. आप तो शिल्प-विद्या में बड़े प्रवीण हैं। यह विद्या आप ने कहाँ सीखी थी ?' नारद प्रद्युम्न के हास-परिहास से लज्जित तो हुए, किन्तु उन्होंने चतुराई से कहा- 'हे वत्स ! मैं तो वृद्ध हो चुका हूँ। अब पूर्व-सा कौशल एवं बल कहाँ रहा ? तुम सब विद्याओं में निपुण एवं हवन-सम्पन्न हो, तब स्वयं क्यों नहीं एक विमान निर्मित 126 करते हो?' कुमार ने तत्काल ही एक विमान की रचना कर दी, जो उत्तमोत्तम रत्नों से सुशोभित था। उसका मध्य एवं कटि प्रदेश सुवर्ण से निर्मित था। इसके अतिरिक्त वह विशालकाय विमान वापिका-सरोवर कादि से शोमित किया गया था। हँस, चक्रवाकादि पक्षियों से अलंकृत वह विमान चँवर, छत्र एवं ध्वजाओं से सुशोमित हो रहा था। उस विमान को देख कर साक्षात् स्वर्गलोक का मान होता था। ऐसा सुन्दर विमान बना कर शिल्पो कुमार ने नारद मुनि से कहा-'हे तात ! यदि यह आप के योग्य बन पड़ा हो, तो आरूढ़ होइये / कारण मैं ने इसका निर्माण अपनी बाल-बुद्धि से किया है। इस अनुपम विमान को देख कर नारद को महान आश्चर्य हुआ। वे उस विमान पर आरूढ़ हुए, तब कुमार ने धीरे से उसे गगन की ओर उड़ाया। किंतु एकाएक विमान की गति मन्द होने लगी। उस समय नारद ने कहा-'तेरे वियोग से रुक्मिणी का मुख-कमल आक्रान्त हो रहा है, अतएव मुरझाने से उसकी रक्षा करनी चाहिये।' तब कुमार विमान को इतनी तीव्र गति से उड़ाने लगे कि नारद व्याकुल हो गये। उनकी जटा बिखर गी, उनकी केशराशि यत्र-तत्र उड़ने लगी. सम्पूर्ण। गात प्रकम्पित होने से वे अधीर हो उठे। उन्होंने कहा- 'हे वत्स! रुक्मिणी मेरी पुत्र के तुल्य है, वह मुझ / पर पितृ भाव रखती है। तुम्हारे पिता श्रीकृष्ण भी मेरी भक्ति करते हैं, पर तू क्यों मुझे व्याकुल कर रहा है ? कुमार ने कहा-'ऐसा प्रतीत होता है कि आप का चरित्र भी द्वन्द्वात्मक है। जब मैं धीरे-धीरे उडाता हँ. / तब आप को भाता नहों एवं जब वेग से चलाता हूँ, तब भी निषेध करते हैं। इसलिये अब आप एकाको हो। | जाइये मैं नहीं जाऊँगा।' यह कह कर कुमार ने विमान को आकाशको स्थिर कर दिया। उस समय नारद जावेश में आकर कहने लगे-'ऐसा प्रतीत होता है तुम विद्याधरों का यह सुखप्रद निवास त्यागना ही नहीं 126 चाहते। किन्तु यह समझ लो कि यदि तेरी माता का शोक में प्राणान्त हो गया एवं तू उसके उपरान्त पहचान तो तेरा कोई मनोरथ सिद्ध नहीं हो सकता। इसलिये हे वत्स ! मैं एक रहस्य तुझे बतलाता हूँ। तेरे मातापिता ने तेरे विवाह हेतु अनेक सुन्दरी कन्याओं की याचना की है। विलम्ब से पहुँचने पर तेरा भ्राता उनसे Jun Gun Aarache trust