________________ P.P.AC.Gurmanasuri M.S. रहा हूँ, उसी प्रकार तुम्हारे अन्य स्वजन भी दुःखी हैं। किन्तु इस पुत्र अपहरण के शोक को तुम अब विस्मृत | कर दो। यद्यपि पुत्र वियोग का शोक असहनीय होता है, वह किसी देवाराधना या मन्त्र-तन्त्र से समाप्त नहीं | हो सकता, किन्तु तुम तो शास्त्रों के ज्ञाता हो। इसलिये संसार के कारणभूत शोक का त्याग कर दो। तुम स्वयं बुद्धिमान हो, मुझ में इतनी सामर्थ्य नहीं कि मैं तुम्हें उपदेश दे सकँ।' इस प्रकार आश्वासन एवं सन्तोष देते हुए नारद ने श्रीकृष्ण को समझाया। प्रत्युत्तर में श्रीकृष्ण ने कहा- 'हे भगवन् ! जाप का कथन यथार्थ में सत्य है। किन्तु रुक्मिणी के सन्ताप को देख कर मेरा दुःख बढ़ जाता है। आप कृपा कर उसके महल में चलें एवं उसे धैर्य बँधायें।' फिर श्रीकृष्ण मादर के साथ नारद को रुक्मिणी के महल में ले गये। नारद को देख कर सम्मान में रुक्मिणी खड़ी हो गयी। उसने भक्तिपूर्वक नमस्कार कर उनके आगे भासन रख दिया। वे भासन पर विराजमान हुए। ठीक ही है, दुःख में भी सत्पुरुष अपनी नम्रता नहीं त्यागते। नारद को देख कर रुक्मिणी का सन्ताप अत्यधिक उग्र हो गया। वह उनके चरणों में गिर कर विलाप करने लगी, क्योंकि कष्ट की अवस्था में इष्ट-मित्रों को देख कर कष्ट की मात्रा बढ़ जाती है। मुनि ने कहा-'हे पुत्री! किसी पूर्व-भव के शत्रु ने ही तेरे प्रिय शिशु का अपहरण किया है, इस कारण मुझे भी बड़ी चिन्ता हो रही है।' रुक्मिणो कहने लगो-'हे महामुने! आप के विद्यमान रहते हुए भी ऐसी घटना हो गयी, इससे बड़े आश्चर्य की घटना अन्य क्या हो सकती है ? मेरी तो समस्त माशायें ही विनष्ट हो गयीं।' मुनि ने अपने दुःख को दबा कर कहा-'दुःख या चिन्ता मत करो। जो चतुर एवं ज्ञानी होते हैं, वे गिरी हुई अथवा नष्ट हो गई वस्तु के लिए पश्चाताप नहीं करते। तू ऐसा मत समझ कि इसके पूर्व ऐसा दुःख किसी को नहीं हुआ होगा। सब को ही दारुण दुःख भोगने पड़ते हैं। इसमें सन्देह नहीं कि पुत्र के वियोग का दुःख तो दुर्निवार होता है। तू ने पुराणों में पढ़ा होगा कि बड़े-बड़े पराक्रमी नृपतियों एवं यशस्वी सम्राटों को भी पुत्र वियोग हुआ है। यह तो निश्चित समझ लो कि जिसके पिता तीन खण्ड के स्वामी श्रीकृष्ण हैं एवं जिसकी माता तुम हो, उसका वध कर डालने की शक्ति किसी में नहीं है। वैसे भी वह बालक अल्पायुवाला नहीं है / यदि किसी पूर्व-भव के शत्रु ने उसे हर भी लिया है, तो वह अतुल वैभव एवं सम्पदा के संग तुम्हारे निकट लौट कर आयेगा। जिस || कार सती सीता का भ्राता भामण्डल उत्पन्न होते ही पर्व-जन्म के किसी शत्र द्वारा हरा गया था, किन्तु Jun Gun Aaradhak Trust