________________ PP Ad Gunun MS उनको बड़ी निन्दा की-'अरे दुष्ट पापियों ! तुम न मला यह क्या किया ? कल तो शास्त्रार्थ में परास्त हो गये थे, तब तुम्हारे मुखमण्डल निस्तेज हो गये थे। जब तुम से कुछ करते न बन पड़ा, तो प्राण लेने पर उद्यत हो गए। धिक्कार है, तुम्हारे जीवन पर।' नगर में चतुर्दिक यह चर्चा फैल गयी। जब राजा के कानों तक यह घटना पहुँची, तो उसे जिज्ञासा हुई कि वस्तुस्थिति क्या है ? क्या ऐसा भी हो सकता है ? तब किसी व्यक्ति ने निवेदन किया कि हे राजन्! कल उपवन में सोमशर्मा विप्र के पुत्रों ने मुनि से शास्त्रार्थ किया था। समग्र विद्वन्मण्डली के सामने वे परास्त हुए थे। उनका जो मान-मर्दन हुमा, उसी का प्रतिशोध लेने के लिए वे वहाँ गये थे एवं मुनि का वध कर स्वयं को सन्तोष देना चाहते थे। पर खड्ग उठाने के साथ हो यक्षराज ने उन्हें कील दिया है। राजा को भी महान् आश्चर्य हुआ। वे स्वजनों को लेकर उपवन में जा पहुँचे। वे दुष्ट उसी अवस्था में खड़े थे। लोग उन्हें मित्र-मित्र प्रकार के निन्दा-सूचक वाक्य कह कर दुत्कार रहे थे- 'इन दुष्टों को क्या सूझी? जो प्राणीमात्र के हितैषी, धर्म के आधार जिनेन्द्र द्वारा प्रतिपादित सत्य धर्म के स्तम्भ, दयामूर्ति मुनिराज का वध करने पर उद्यत हैं। इन्हें शतशः बार धिक्कार है।' कुछ मनुष्यों ने सोमशर्मा के घर जाकर कहा कि तनिक उपवन में जाकर अपने पुत्रों की दुर्दशा तो देखो। उन्होंने कैसा घोर अन्याय करने का विचार किया है। शायद तुमने भी उनके जगनिन्द्य कर्म की बात सुन ली हो / उनका धिक्कार सुन कर वे आश्चर्य-से पूछने लगे कि बतलाओ तो मला, हमारे पुत्रों ने आखिर किया क्या है ? तब लोगों ने बतलाया कि अपने पुत्रों की काली करतूत सुन लो। वे दोनों दुष्ट उपवन में जा कर मुनिराज पर खड्ग प्रहार कर रहे थे कि यक्षराज ने उन्हें ज्यों-का-त्यों कील दिया है। वे उसी अवस्था में खड़े हैं। इतना सुनते हो माता-पिता घबराये एवं तत्काल ही उपवन में गये। वहाँ पुत्रों की दुरवस्था देख कर सोमशर्मा एवं अग्निला का चित्त बड़ा दुःखी हुआ। उनके नेत्रों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हो चली। वे कहने लगे-'हाय पुत्रों ! तुम किस दुरवस्था में पड़े हो।' सात्विको मुनिराज के चरण-कमलों में गिर कर उन्होंने प्रार्थना की—'हे स्वामी! आप समस्त जीवों पर दया करते हो, हमारे पुत्रों को भी जीवन दान दो। यही हम अनुग्रह याचना करते हैं। साधु वही है, जो दुष्ट को क्षमा कर दे।' जिस समय ये दोनों रुदन कर JunGun AaradhaKirust