________________ P.P.AC.Gurranasuri MS. भाशायें धूमिल हो गयीं। उसने सोचा-'छली कुमार मेरी विद्यायें भी हर कर ले गया एवं कामना भी पूर्ण न हुई। अब तो इस वश्चक का जिस प्रकार भी विनाश हो, वही करना चाहिये।' रोसा विचार कर उसने अपने नखों से अपने उरोजों को क्षत-विक्षत कर डाला। फिर अपने केशों को बिखराये हुए वह राजा के समीप जा | 124 पहुँची एवं नम्र होकर बोली-'हे नाथ! आप ने जिसे निर्जन वन में मुझे समर्पित किया था, देखिये उसने मेरी क्या दुर्दशा की है ? मेरे निवेदन पर ही आप ने उसे युवराज-पद दिया था। किन्तु आज उसो पापात्मा ने मेरी सौन्दर्य-विभूषित देहयष्टि पर आसक्त हो कर यह कुचेष्टा की है। अवश्य ही वह किसी नीच कुल का है, अन्यथा पालनकर्ता माता के प्रति ऐसी पाप-बुद्धि नहीं हो सकती। उसने अपनी कामवासना शान्त करने के लिए समस्त उद्योग किये, किन्तु पुण्य-प्रभाव एवं कुलदेवो के प्रसाद से मेरे सतीत्व की रक्षा हुई है। यदि संयोग से मेरा सतीत्व नष्ट हो जाता, तो आप मुझे जोवित भी नहीं पाते। मैं बड़ी कठिनाई से अपने शील की रक्षा कर सकी हूँ। अब तो मुझे तभी सन्तोष होगा, जब मैं अपने नेत्रों से उस दुष्ट का शोणित (रक्त) से लथपथ विछिन्न (कटा हुआ) मस्तक भूमि पर लोटता हुआ देखेंगी।' ___प्रिय पत्नी से अभियोग सुन कर कालसम्बर क्रोधित हो उठा। उसने अपने शेष पञ्च शतक पुत्रों को बुला कर बाज्ञा दी- 'हे पुत्रों ! तुम उस महापातकी प्रद्युम्न का यथाशीघ्र वध कर डालो। वह किसी नीच कुल का प्रतीत होता है। मुझे तो ज्ञात ही नहीं था कि वह किसका पुत्र है ? मैं उसे वन से उठा कर लाया था। मुझ पर तो सर्वप्रथम उस दिन उसकी दुष्टता प्रकट हुई, जिस दिन वह रथ पर आरूढ़ होकर आया एवं तुम लोग पदाति (पैदल) आये / इसलिये ऐसा कोई उपाय करो कि उसकी मृत्यु मो हो जाये एवं किसी पर सन्देह प्रकट भी न हो।' पिता के ऐसे मनोभाव सुन कर पुत्रों को अतीव प्रसन्नता हुई। वे तो प्रद्युम्न का अन्त चाहते ही थे, फिर अब तो पिता की आज्ञा भी मिल गयी थी। परस्पर विचार-विमर्श कर वे पञ्च-शतक भ्राता प्रद्यन के निकट आये। सबों ने मिल कर उससे प्रस्ताव 14 किया-'हम लोग जल-क्रीड़ा करने हेतु वापिका को जा रहे हैं, तुम भी चलो।' कुमार भी गमन हेतु सहर्ष / प्रस्तुत हो गया। सब-के-सब मोद मनाते हुए बावड़ी के समीप जा पहुँचे। वे बावड़ी में कूदने के उद्देश्य से वृक्षों पर चढ़ गये। किन्तु पुण्य के योग से एक विद्या ने भाकर कुमार के कर्ण (कान) में कहा-'हे वत्स!! Jun Gun Raracak Trust