Book Title: Pradyumna Charitra
Author(s): Somkirti Acharya
Publisher: Jain Sahitya Sadan

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Page 128
________________ 125 PPAC C MS य सब दुष्ट तुम्हारा वध कर डालने की चेष्टा में हैं / अतएव तुम्हारे हित के लिए कहती हूँ कि भूल कर भी तुम जल में मत पैठना।' विद्या का परामर्श सुन कर प्रद्युम्न को घोर आश्चर्य हुआ। उसने तत्काल ही बहुरूपिणो विद्या के बल से अपना एक कृत्रिम रूप बनाया एवं स्वयं विद्या-बल से अदृश्य होकर तट पर बैठ कर कौतुक देखने लगा। प्रद्युम्न का वास्तविक रूप तो तट पर बैठा हुआ था, जब कि कृत्रिम रूप वापिका में कूद पड़ा। सुअवसर समझ कर वे पञ्च शतक विद्याधर-पुत्र उच्च स्वर में गर्जना कर उठे—'शीघ्रता से कूदो एवं इस दुष्ट का वध कर डालो।' ऐसा कह कर वे सब-के-सब वापिका में कूद पड़े। उस समय प्रद्युम्न को प्रचंड क्रोध उत्पन्न हुआ। उसने मन में विचार किया-'किस उद्देश्य से ये लोग मेरा वध करने के लिए सत्रद्ध हुए हैं ? ऐसा प्रतीत होता है कि पथभ्रष्ट माता कनकमाला ने पिताश्री को बहकाया है, जिससे कुपित होकर पिता ने बिना सोचे-विचारे आज्ञा दी है। जो भी हो, जब ये सब कपटी मुझे यमलोक पठाने के लिए तत्पर हैं, तब मैं ही क्यों न इनका वध कर डालँ।' ऐसा विचार कर कुमार ने विद्या-बल से एक विशाल शिला उठा कर उस वापिका को ढंक दिया। फिर उसने सब को औंधे कर उसमें लटका दिया। पिता के पास सम्वाद प्रेषण हेतु केवल मात्र एक भ्राता को मुक्त कर दिया। वह (भ्राता) त्वरित गति से राजा कालसम्वर के निकट जा पहुँचा एवं समस्त वृत्तान्त कह सुनाया। घटनाक्रम सुनते हो राजा कालसम्वर की क्रोधाग्नि प्रज्वलित हो उठी। वह स्वयं खड्ग लेकर प्रद्युम्न को प्राणरहित करने के लिए उद्यत हुआ। उस समय चतुर मन्त्रियों ने निवेदन किया--'हे महाराज ! जिस महाबली को अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं एवं जिसने आपके पञ्च-शतक पुत्रों को बन्दी बना कर रखा है, वह क्या एकाकी परास्त हो सकेगा? इसलिये आप विशाल सेना ले कर जाइये।' मन्त्रियों का परामर्श राजा को युक्तियुक्त प्रतीत हुआ। उन्होंने रणभेरी बजवायी एवं विराट सेना लेकर वापिका की ओर अग्रसर हुआ। पिता को सेना के साथ बाते देख कर प्रद्युम्न को अत्यधिक आश्चर्य हुआ। उसने विचार किया कि पिताश्री को क्या मतिभ्रम हो गया है, जो दुराचारिणी नारी के बहकावे में आ गये ? कालसम्वर को सेना निरन्तर अग्रसर हो रही थी। सेना के रथ, गज, अश्व एवं पदाति समूह को गर्जना से भूमण्डल प्रकम्पित हो रहा था। पर इतनी | शक्तिशाली सेना को देख कर भी प्रद्युम्न को कौतुक सूझा / उसने विद्या-बल से एक कृत्रिम विराट सैन्य की Jun Gun var 125

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